महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को फाइनेंस कंपनियां और बैंक कर रही है प्रताड़ित और परेशान, जबकि अच्छे-अच्छे रोजगार लॉकडाउन में हुए चौपट, दम तोड़ती महिला सशक्तिकरण की सरकार की मंशा
देश में फाइनेंस कंपनियों द्वारा भारत सरकार की मंशा अनुरूप महिला सशक्तिकरण को लेकर जो स्व सहायता समूहों का गठन कर महिलाओं को छोटे-मोटे रोजगार के लिए 1 राशियां उपलब्ध कराई थी उसकी वसूली के लिए उनके द्वारा बिल्कुल रहम नहीं किया जा रहा है जबकि देश ही नहीं पूरी दुनिया पिछले 4 माह से कोरोनावायरस महामारी की चपेट में होने की वजह से हालातों से परेशान है इसके बावजूद भी महिला स्व सहायता समूह को ऋण उपलब्ध कराने वाली फाइनेंस कंपनियां और बैंक महिलाओं को प्रताड़ित कर रही हैं उन्हें धमकियां भी दे रही है कि यदि आपने पैसा नहीं भरा तो आपको कभी भी कहीं से लोन नहीं मिलेगा कुछ भी करिए लेकिन हमारी रिन राशि की किस्तों को आप भरिए
जबकि पूरी दुनिया और देश को पता है कि विगत 4 माह में कोरोनावायरस मामा ने रावण के दौरान छोटे ही नहीं बड़े बड़े उद्योगों की रीड की हड्डी तोड़ दी है आज देसी नहीं पूरी दुनिया आर्थिक हालातों से जूझ रही है कमाई का कोई जरिया विगत 4 माह में नहीं बना है जहां देश सहित पूरी दुनिया में जान के लाले पड़े हुए हैं वही देश की फाइनेंस और बैंक संस्थाएं गरीबों को परेशान करने में लगी हुई है उल्लेखनीय है कि भारत के उच्चतम न्यायालय वस्था सुप्रीम कोर्ट द्वारा विगत सालों में आदेश दिया था कि 1000000 तक के ऋण राशि वाले लोगों को बैंक और फाइनेंस कंपनियां परेशान ना करें उनके घर पर ना जाएं और किसी भी प्रकार की ऋण राशि लेने वाले को परेशान ना करें लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में महिला सशक्तिकरण का भारत सरकार का उद्देश्य यह फाइनेंस कंपनियां और बैंक चकनाचूर करने में लगी हुई है जबकि सरकार ने खुद कहा है कि सितंबर माह तक स्थिर रखा जाए और लेने वालों को परेशान ना किया जाए लेकिन फाइनेंस बैंक संस्थाएं महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को आत्महत्या करने के लिए विवश कर रही हैं। मध्य प्रदेश राजधानी की बानगंगा और राहुल नगर क्षेत्र की महिलाओं ने बताया कि हमारे जो महिला स्सव सहायता समूह चल रहे हैं उनकी स्थितियां बहुत ही धनी चल रही है लेकिन फाइनेंस कंपनियों के कर्ता-धर्ता घर आकर और मोबाइल के द्वारा ऋण वसूली हेतु जहां धमकियां दे रहे हैं वही मानसिक प्रताड़ना भी दे रहे हैं बाणगंगा क्षेत्र की महिलाएं जिनमें समूह ग्रुप लीडर आशा शाक्य ने बताया कि हमारे समूह में 35 महिलाएं हैं जो ऋण राशि की किस्त भरने में असमर्थ हैं लेकिन हमारे समूह को फाइनेंस करने वाली आईडीएफसी शाखा गोविंदपुरा के मैनेजर और वसूली कर्ता हमें परेशान करने में लगे हुए हैं
वही जना बैंक की ऋण ग्रहिता रुखसाना और श्रीमतीीी सीता सोनीी ने बताया कि जनलक्ष्मी जना बैंक के मैनेजर और वसूली करता हमको रोज परेशान कर रहे हैं जिससे हम मानसिक तनाव में हैं हम सरकार से मांग करते हैं कि हमने जब लॉकडाउन के पूर्व ऋण राशि की आधी राशि जमा कर दी है लेकिन 4 माह में कोई कारोबार व्यवसाय हमारा नहीं चला जिससे हमें अपने परिवार चलाने में कोई दिक्कत है और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है इसके बावजूद भी बार बार कहने पर भी बैंक के कर्ता-धर्ता हम को परेशान कर रहे हैं जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
मध्यपदेश की झोपड़ी प्रकोष्ठ भोपाल के जिला उपाध्यक्ष श्रीमती इन शेख ने बताया कि पूरी दुनिया में जब महामारी का दौर चल रहा है और सभी छोटे बड़े व्यवसाय करने वाले आर्थिक स्थिति से परेशान हैं इसके बावजूद फाइनेंस कंपनियों द्वारा महिलाओं को सशक्त ना कर तथा उनकी परेशानियों को ना समझ कर प्रतिदिन परेशान किया जा रहा है यदि महिलाओं की स्व सहायता समूह को सरकार द्वारा मदद नहीं दी जा रही है तो वही उनको फाइनेंस कंपनी द्वारा परेशान भी नहीं किया जाना चाहिए यदि वह परेशान करते हैं तो महिलाओं के ऊपर बुरा असर पड़ेगा और मानसिक तनाव में वह गलत कदम उठाने के लिए विवश होंगी जो समाज और देश में ठीक नहीं होगा हो सकता है कि मानसिक प्रताड़ना से महिला आत्महत्या भी कर ले जिससे सरकार की छवि जहां खराब होगी वही समाज में विकृतियों की स्थिति बनेगी। इसलिए मध्य प्रदेश सरकार और भारत सरकार को चाहिए कि वह महिला स्व सहायता समूह की समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ ध्यान देकर उनकी समस्याओं का समाधान करें यदि ऐसा नहीं होता है तो महिलाओं में जहां आक्रोश पड़ेगा वही वह गलत कदम उठाने के लिए भी विवश होंगी।
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