*कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर,* कबीर जन्म नहीं लेते सीधे शिशु रूप में प्रकट होते हैं, कबीर के मार्ग पर चलने से होगा जीवन का उत्कर्ष

विश्व में पैदा हुई प्रसिद्ध और खास हस्तियों में कबीर दास जी बी समतामूलक समाज के प्रणेता और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक प्रकट महामानव माने जाते हैं कबीर दास जी ने समाज को तोड़ने की नहीं बल्कि जोड़ने की कवायद की उन्होंने अपने दोनों म मानव जीवन शैली को जीवंत करने की कोशिश की इसके बावजूद आज दुनिया किस मुहाने पर खड़ी है यह किसी से छुपा नहीं है विश्व में हो रहे घटनाक्रमों से मुझे एक दोहे की पंक्ति याद आती है की कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर इस लाइन से ही आप समझ गए होंगे कि अमूमन स्थिति वर्तमान में यही है संत शिरोमणि कबीर दास जी मनुष्य जीवन के प्रेरणा स्रोत होने के साथ-साथ दूरदृष्टि को लेकर चलने वाले शख्सियत रहे हैं उनकी हस्ती चिरकाल तक अमर रहेगी। मोहम्मद के डेरा लिए कबीर सबके बाप हर युग में अर्थात चारों युग में अभी तक जो प्रमाण मिलते हैं उनके अनुसार सतयुग में सुकृत नाम से त्रेता युग में मनिंद्र नाम से ,द्वापर में करुणामाई नाम से और कलयुग में कमी कबीर नाम से प्रकट होते हैं बाकी देव मां के गर्भ से जन्म  लेते हैं कबीर दास जी ने सीधे शिशु रूप में प्रकट होकर संसार को अपने ज्ञान प्रकाश से प्रकाश मय किया है। श्री कबीर दास जी का प्रकट दिवस क्यों मनाया जाता है इसके प्रमाण में मंडल 9 सूत्र एक मंत्र 9 के अनुसार कबीर प्रगट ही होते हैं वह परमात्मा रूप में प्रकट होता है और उसकी परवरिश कुमारी गाय के दूध से होती है ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूत्र 96 मंत्र 17 के अनुसार कबीर शिशु रूप में ही पैदा होते हैं और इसी से प्रमाणित होता है कि वह जानबूझकर कबीर रूप में पैदा होते हैं। जो जग कल्याण के लिए ही प्रकट हुए हैं इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है। कबीर दास जी के दोहो जनमानस को झकझोर कर रखा हुआ है यदि मनुष्य अपने जीवन का उत्कर्ष करना चाहता है तो कबीर दास जी को करीब से जानना होगा इससे उनके जीवन का उद्भव और कल्याण संभव है मनुष्य अपने व्यवहारी को सांसारिक जीवन में जिस तरीके से विचलित होता है उससे उसकी जीवन की धारा उलझ जाती है और वह संसार सागर में एक कश्ती की तरह भंवर में डूब जाता है यदि वह कबीर के बताए मार्ग पर और उनके विचारों को अंगीकार करे तो उसका उद्धार संभव है।


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