विश्व में पहली बार मजदूर दिवस बनाम मजबूर दिवस , सरकार का आदेश किसी का वेतन नहीं कटेगा चाहे वह ड्यूटी पर रहे या ना रहे ,लॉक डाउन 17 मई तक बढ़ा
पूरे विश्व में आज 1 मई को विश्व मजदूर दिवस मनाया जाता है लेकिन कोरोना वायरस की महामारी की वजह से पूरी दुनिया लॉक डाउन में फंसी हुई है जिससे मजदूरों की स्थिति बहुत ही दयनीय और कष्टकारी साबित हो रही है पूरी दुनिया में करोड़ों मजदूर आज परेशानियों का जहां सामना कर रहे हैं
वही उनकी समस्याओं को लेकर सरकार चिंतित जरूर है लेकिन कोई ठोस उपाय दो महा होने के उपरांत भी नहीं कर पा रही हैं इससे प्रतीत होता है कि जिन मजदूरों ने अपना खून पसीना बहा कर विश्व निर्माण में अपना सहयोग आज तक देते चले आए हैं प्रत्येक देश में देश के निर्माण में मजदूरों के अहम भूमिका होती है लेकिन विगत समय में देखने में आया है कि किसी भी उद्योग कंपनी संस्थान ने चाहे वह उत्पादन का क्षेत्र हो चाहे निर्माण का चित्र हो इसके मालिकों ने अपने मजदूरों को इस दुख की घड़ी में शायद ही सहयोग किया हो लाखों-करोड़ों मजदूर आज भी सहयोग की अपेक्षा के लिए उधार बैठे हुए हैं कहीं-कहीं तो मजदूरों को भूखे रहकर हजारों किलोमीटर की यात्रा अपने गंतव्य स्थान तक जाने के लिए तय करना पड़ रही है लेकिन किसी के पास उनका हल आज भी नहीं है।
जबकि भारत सरकार के गृह मंत्रालय श्रम विभाग ने आदेश दिया है कि किसी भी सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों का वेतन नहीं काटा जाएगा उन्हें वेतन देना होगा लेकिन इसके बावजूद मजदूरों को तत्काल सहयोग की अपेक्षा है लेकिन किसी भी उद्योग कंपनी और संस्थान ने अपने मजदूरों को तत्काल कोई सहायता जिससे उनकी प्रतिदिन की भोजन पानी की व्यवस्था हो सके ऐसा शायद ही है पिया हो जिससे पूरे विश्व अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है खासतौर से भारत में देखने में आया है कि मजनू भुखमरी और परेशानी के कारण इधर से उधर सरकार के नियमों का पालन किए बगैर झुंड में घूम रहे हैं और भटक रहे हैं जिनकी शुद्ध लेना तो दूर की बात उनके साथ अन्याय बदस्तूर जारी है ।सरकार कह रही है कि हम योजना बना रहे हैं शीघ्र ही इसका पालन करेंगे और मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचा कर उनके भोजन पानी की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं ।अब देखना यह है कि मई दिवस मजदूर दिवस पर सरकार क्या फैसला लेती है और मजदूरों को उनका हक देती और दिलवाती है ? यह एक गंभीर प्रश्न है जिसपर सरकार को कसौटी पर खरा उतरना है ।
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