शिवराज सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार 8 से 10 मई 2020 को संभव, कमल नाथ को अब एहसास हो रहा है सरकार गिरने का, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ विधायकों को अपनी गलती छुपाने बता रहे धोखेबाज! निजी बस संचालकों और कर्मचारियों की सोचे सरकार- इंटक की मांग
*मंत्रिमंडल विस्तार से पहले भाजपा में उठे बगावत के सुर*
*विन्ध्य क्षेत्र के बेजेपी विधायक हुए मुखर*
*कई विधायकों ने किया राजेन्द्र शुक्ल का विरोध !*
*शुक्ल समर्थकों के साथ लगा रहे भोपाल आलाकमान के चक्कर*
भोपाल। मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा आलाकमान सबको संतुष्ट करने के लिए प्रयासरत है। तो वहीं विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा सीट देने वाले विंध्य क्षेत्र के विधायकों में तत्कालीन मंत्री व वर्तमान विधायक राजेन्द्र शुक्ल को लेकर भारी असंतोष सामने आ रहा है।
सूत्रों ने जनकारी देते हुए बताया कि रविवार को देर शाम तक विंध्य के कई विधायकों ने रीवा में एक गोपनीय बैठक की। इसमें राजेन्द्र शुक्ल के प्रति विरोध जाहिर किया गया एवं इस बात की जानकारी संगठन के कई प्रमुख पदाधिकारियों को भी दी। गौरतलब है कि राजेन्द्र शुक्ल की विंध्य में पकड़ कमज़ोर होती जा रही है।
सूत्रों ने यह भी जानकारी दी कि, इस बार शिवराज जी के मंत्रिमंडल विस्तार में राजेंद्र शुक्ल को स्थान मिलना मुश्किल लग रहा है।
दोनों बातों की भनक लगते ही राजेन्द्र शुक्ल पिछले कुछ दिनों से अपने साथ दो अन्य विधायकों को लेकर भोपाल में मुख्यमंत्री, संगठन महामंत्री व प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य प्रभावशाली लोगों के चक्कर काट रहे हैं। 8 मई के बाद मंत्रमंडल विस्तार की संभावना है।
निजी यात्री बस संचालक व कर्मचारियों के हित में शीघ्र निर्णय ले सरकार: इंटक
भोपाल। प्रदेश में लॉकडाउन में रियायत देने की तैयारी के चलते मप्र ट्राँसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन इंटक ने निजी बस संचालकों व कर्मचारियों को विशेष राहत देने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। वहीं छोटे निजी बस संचालकों को एक वर्ष के लिए बिना ब्याज क ऋण उपलब्ध कराये जाने के लिए भी कहा गया है जिससे निजी परिवहन के क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों आर्थिक तंगी से ऊबर सकें। मप्र ट्राँसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन इंटक के प्रदेश प्रवक्ता विजय कुमार शर्मा ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि कोबिड 19कोरोना महामारी के चलते जारी लॉक डाउन के कारण देश के साथ मप्र में भी 22मार्च से यात्री बस संचालक पूर्ण रुप से बन्द है जिससे व्यवसाय ठप्प है। कर्मचारी एवं छोटे बस संचालक जो जन सेवा के साथ परिवार के भरण पोषण के लिये बैंकों से ऋण लेकर एक दो बसें संचालित कर रहे थे पूर्ण रुप से बेरोजगार हैं ।बे बमुश्किल स्टाफ का बेतन, भत्ते, किस्त, टैक्स, निकालने के बाद परिवार का भरण पोषण कर पाते थे, उनकी स्थति मजदूरों से भी खराब हो गई है। ना परिवार के लिये रोटी है न पुन: बस संचालन के लिये पैसे बचे हैं। इसके साथ ही फायनेंस की किस्त ब्याज सहित और टैक्स बिना संचालन के ही बड़ता जा रहा है बीमा अवधि भी कम होती जा रही है। वहीं बड़े बस संचालक खर्चा भी बड़ा है जिससे उनकी स्थिति भी अधिक खराब होती जा रही है अर्थात निजी यात्री बस व्यवसाय पर गम्भीर संकट है। फेडरेशन प्रवक्ता ने बताया कि फेडरेशन इंटक महामंत्री प्रवेश मिश्रा मांगपत्र, ट्यूटर, मीडिया के माध्यम से निरन्तर शासन-प्रशासन का ध्यान इस गंभीर बिकराल समस्या की ओर आकर्षित करते आ रहें हैं पर सरकार मौन धारण किये हुये हैं। जिससे सभी बस संचालकों एवं कर्मचारियों के लिये सरकार का असहयोग कोरोना से बड़ी महामारी बनता जा रहा है। फेडरेशन इंटक महामंत्री ने पुन: प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर मांंग की है कि वे बस संचालकों एवं कर्मचारियों की समस्या को गम्भीरता से लेकर भारत सरकार परिवहन विभाग के दिशा निर्देशानुशार यात्री बसों के लॉक डाउन अवधि के सभी प्रकार के टैक्स अविलम्ब माफ करें,लॉकडाउन समाप्ति पर 50 प्रतिशत यात्री के संचालन के साथ ही स्पेयर एवं परमिट टैक्स भी 50 प्रतिशत लेने के साथ संचालन के आदेश जारी किए जाएं। बैंक की किस्त जमा कराने में तीन माह की छूट दी गई है पर किस्त ब्याज सहित बड़ रही है जो बहुत मंहगी पडऩे वाली है। यह अवधि छ:माह की जाए और इन छ: माह का ब्याज माफ किए जाने के लिए आदेश जारी किए जाएं। बसों के असंचाल अवधि के बराबर बीमा वैधता भी आगे बड़ाई जाने के आदेश बीमा कंपनियों को दिए जाएं। कर्मचारियों के लिये नि:शुल्क राशन एवं आर्थिक सहायता दी जाए। दस्तावेजों की वैधता 30 जून से बढ़ाकर 30 सिप्तम्बर की जावे? छोटे बस संचालकों को पुन: व्यवसाय प्रारंभ करने आर्थिक सहायत दी जावे और यदि सरकार सहायता देने में असमर्थ हो तो वाहन रजिस्ट्रेशन के आधार पर एक वर्ष के लिये दो-दो लाख रुपये का बिना ब्याज के सरकार की गारण्टी पर ऋण उपलब्ध कराया जाए। फेडरेशन इंटक महामंत्री ने कहा है कि कोरोना महामारी राष्ट्रीय आपदा है और राष्ट्रीय आपदा में राष्ट्रीय आपदा कानून ही चलता है जिसमें केन्द्र एवं राज्य सरकारों को मानव जीवन एवं व्यवस्थायें पुन:सुचारु करने के लिये सर्वाधिकार प्राप्त हैं। इसलिये सरकार प्रदेश के हजारों संचालकों, लाखों मजदूरों एवं उनके परिजनों के हित में अविलम्व आदेश जारी करे। जिससे प्रदेश की जनता की स्वस्थ चेतन्य मानसिकता से पुन:सेवा की जा सके। विजय कुमार शर्मा प्रदेश प्रवक्ता म.प्र.ट्राँसपोर्ट व्र्कर्स फेडरेशन इंटक भोपाल।
⏩ सरकार गिरने का दर्द अब महसूस होने लगा कमलनाथ को
🔥 *दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच उभरने लगे मतभेद...*
भोपाल। मध्यप्रदेश में 15 साल के बाद जोड़ तोड़ कर बनाई गई कांग्रेस की सरकार मात्र 18 माह में ही नेताओं की आपसी खींचतान के चलते गिर गई। कांग्रेस के नेता दबी जुबान में सरकार गिरने के लिए सबसे ज्यादा दिग्विजय सिंह को दोषी ठहरा रहे हैं। वहीं कमलनाथ का घमंडी (अहंकारी)होना भी सरकार गिरने की वजह माना जा रहा है। क्योंकि कमलनाथ ने अपने अहम् के चलते विधायकों से बात करना अपनी तौहीन समझा। जहां दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादितय सिंधिया को कांग्रेस छोड़ने पर मजबूर किया वहीं उनके विधायकों को मनाने में कांग्रेसी नेता विफल रहे। अपनी सरकार गिरने का दर्द अब पूर्व सीएम कमलनाथ की जुबां पर आने लगा है। अब ये दोनों ही नेता सरकार गिरने के लिए अपनी गलती छुपाते हुए विधायकों को धोखेबाज बता रहे हैं। जब तक कमलनाथ मध्यप्रदेश के सीएम रहे उन्होंने किसी को कुछ समझा ही नहीं अपने घंमड में चूर होकर आम लोगों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया। कमलनाथ ने लघु समाचार पत्रों, पत्रिकाओं क़ो मिटाने की हरसंभव कोशिश भी बहुत की, जिस कारण कई अखबारों ने अपने पृष्ठ कम कर दिये, औऱ कई छोटे मझोले अख़बार बंद हो गऐ ! अब अपनी सरकार गिरने के बाद किसानों,मजदूरों और पत्रकारों की चिंता हो रही है।
परवेज़ भारतीय (राष्ट्रीय अध्यक्ष) एवं रघु मालवीय (प्रदेश अध्यक्ष)▪️प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन मध्यप्रदेश
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