शराब पर लगेगा कोरोना टैक्स अन्य राज्यों में भी शराब पर बढ़ी दर ,मजदूर संगठनों द्वारा आंदोलन


  1. *मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान, शराब में कोरोना टैक्स लगेगा* 



भोपाल। कोरोना संकट में राजस्व की कमी से जूझ रही दिल्ली, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडू के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार भी शराब महंगी करने जा रही है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसके संकेत दिए। चौहान ने कहा है कि हमने इस संबंध में अधिकारियों के साथ चर्चा की है। अतिरिक्त राजस्व के लिए शराब पर कोरोना टैक्स लगाया जाएगा। क्योंकि सभी सरकारें कोरोना से जूझ रही हैं, और सभी की तरह ही मध्यप्रदेश सरकार का भी खजाना खाली है।
         मुख्यमंत्री चौहान ने विशेष बातचीत में कहा कि मध्यप्रदेश सरकार को राजस्व की जरूरत है। इसके लिए हम गंभीरता से टैक्स लगाने पर चर्चा कर रहे हैं। इसी प्रकार शराब पर अतिरिक्त कोरोना टैक्स लगाने पर बात हुई है। जल्द ही हम इस पर टैक्स लगाकर राजस्व बढ़ाएंगे, जिससे हम गरीबों और जनहित के कामों को आगे बढ़ा सकें।
       गौरतलब है कि लॉकडाउन के चलते मध्यप्रदेश सरकार को 1800 करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हुई है। इसकी रिकवरी सरकार सालभर में भी नहीं कर पाएगी। जबकि राज्य सरकार का 2020 का लक्ष्य 13500 करोड़ रुपए है। इसलिए सरकार ने केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद शराब दुकानों को खोलने का निर्णय लिया। उसकी मंशा है कि वो इससे राजस्व वसूली कर कोरोना से लड़ाई के लिए राजस्व जुटा सके। गौरतलब है कि प्रदेश में 2544 देसी और 1061 विदेशी शराब की दुकानें हैं। यह दुकानें 25 मार्च से बंद हैं।


*तमिलनाडू में 40 से 80 रुपए बढ़ी कीमतें*


*आंध्र प्रदेश में 50 फीसदी कीमतें बढ़ीं*


*दिल्ली में 70 फीसदी कीमतें बढ़ीं*


*योगी सरकार ने भी शराब व पेट्रोल, डीजल पर बढ़ाया टैक्स*


निवेश और कोरोना के नाम पर श्रमकानूनों में परिवर्तन कर मजदूरों का खुला शोषण: त्रिपाठी


भोपाल। प्रदेश सरकार के द्वारा निवेश और कोरोना महामारी  के नाम पर श्रम कानूनों में परिवर्तन कर मजदूरों से तीन चरण में कराये जाने वाले कार्य को दो चरणों किया जा रहा है जिससे मजदूरों को कोई लाभ ना होकर उनका शोषण करने का रास्ता खोला जा रहा है। वही तीन मजदूरों की जगह दो से कार्य लिए जाने का आदेश शोषण के दरवाजे खोले जा रहे हैं। जिसका राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक मप्र के अध्यक्ष ने इसका विरोध किया है। मप्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी और निवेश के नाम पर श्रम कानूनों में अनावस्यक परिवर्तन कर मजदूर हितों पर कुठाराघात एवं उनका खुला शोषण किया जा रहा है। यह आरोप राष्ट्रीय मजदूर काँग्रेस इंटक मप्र के अध्यक्ष आरडी त्रिपाठी ने प्रदेश सरकार पर लगाया है। श्री त्रपाठी की ओर से जारी बयान में मप्र इंटक सचिव प्रवेश मिश्रा ने कहा है कि मजदूरों की शिफ्ट पाली 8 घंटे से बढ़़ाकर 12 घण्टे करने में या फिर तीन मजदूरों का काम दो मजदूरों से कराने में कहां के रोजगार के अवसर बढ़ेगे? बल्कि बेरोजगारी बढ़ेगी? एमपीआईआर एक्ट समाप्त करने में, भवननिर्माण कर्मकारों के अधिकारों में कटोत्री, उद्योगों के श्रमिकों से श्रम न्यायालय जाने के अधिकार छीनने और जो अधिकार मजदूरों को उद्योग में10 की संख्या पर मिलते, वह 50 और 50 की संख्या पर मिलने वाले 100 और100 पर मिलने वाले सदस्यों की संख्या 300 अनिवार्य करने से मजदूरों को क्या लाभ? श्रमविभाग और उसके अधिकारियों के पावर समाप्त कर मजदूरों को क्या लाभ? ठेकेदारों, आउटसोर्स के पावर बढ़ाने से मजदूरों को क्या लाभ होगा? इंटक अध्यक्ष श्री त्रिपाठी नें कहा है कि मुख में राम बगल में छुरी रखकर की नीति पर चलने वाली शिवराज सरकार का श्रमिकों, मजदूर, कर्मचारियों की आहुति पर इंटक को कोई निवेश स्वीकार नहीं है। इंटक अध्यक्ष ने कहा है कि क्या श्रमिक हितों की बलि के विना निवेश नहीं हो सकता? हम विधिवेताओं की सलाह से सरकार के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही तो करेंगे ही साथ ही लॉकडाउन खुलते ही मैदानी कार्यवाही भी करेंगे। इंटक अध्यक्ष ने  सभी पदाधिकारी कार्यकर्ताओं को आव्हान किया है कि वे सम्पूर्ण मप्र में कर्मचारियों को इन परिवर्तनों से अवगत करायें और आन्दोलन की तैयारी करें।


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