मजदूरों की शामत आई, जेसीबी से हो रही खुदाई, मध्य प्रदेश की राजधानी परियोजना विभाग का कारनामा, मजदूरों के हालात के प्रति सरकार गंभीर नहीं
मध्य प्रदेश सरकार और भारत सरकार इसको रोना महामारी के दौर में देश की जनता के लिए आर्थिक पैकेज दे रही है और उनकी सहूलियत ओं के लिए कार्य कर रही है लेकिन जमीन पर देखने के बाद ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि सरकार और उनके प्रशासनिक अधिकारी गंभीर हैं ऐसा ही एक माजरा भोपाल के बीएचईएल के जंबूरी मैदान में देखने को मिल रहा है यहां पर पिछले 3 दिन से राजधानी परियोजना विभाग भोपाल द्वारा जेसीबी मशीनों से पौधरोपण के लिए गड्ढे खोले जा रहा है वह भी ठेकेदारी प्रथा से जबकि आज मजदूरों को जो जून की रोटी के लिए काम की महती आवश्यकता है लेकिन राजधानी परियोजना विभाग भोपाल मशीनरी से कार्य करा रहा है
बताया जाता है कि जंबूरी मैदान के चार भागों में पौधरोपण हेतु ठेकेदारों के द्वारा जेसीबी मशीनों से गड्ढे करवाए जा रहे हैं जो लगभग 25000 के आसपास पौधों के रोपण के लिए किए जा रहे हैं इस क्षेत्र में 12 नाकेदार और पांच रेंजर कार्य कर रहे हैं एक रेंजर श्री अनिल शर्मा से मोबाइल पर चर्चा होने के उपरांत उन्होंने बताया कि मजदूरों की समस्या चल रही है जिससे जेसीबी मशीनों से कार्य कराया जा रहा है जब उनसे पूछा गया कि मजदूर जून की रोटी के लिए यहां वहां भटक रहा है लेकिन उसे काम नहीं मिल रहा है उसका परिवार भूखों मरने की कगार पर है और आप जेसीबी मशीनों से कार्य करा रहे हैं तो उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए अप्रैल माह में टेंडर हो चुके थे जिसकी वजह से ठेकेदारों से कार्य कराए जा रहे हैं मौका मुआयनाना करने पर देखा गया कि बीएचईएल के जंबूरी मैदान में चार भागों में सात जेसीबी कार्य कर रही थी
यह जेसीबी पाटिल और अनिल प्रजापति ठेकेदार की बताई जाती है वहां पर उपस्थित ड्राइवरों ने बताया कि हम तो सब मजदूरी पर काम कर रहे हैं लेकिन मजदूर वहां सिर्फ तीन ही दिखे बाकी जेसीबी चलाने वाले ड्राइवर 12 नाकेदार और उस क्षेत्र के 5 रेंजर है बड़ी विचित्र बात है कि मजदूरों को मनरेगा के तहत 100 दिन की रोजगार की गारंटी सरकार द्वारा दी गई है लेकिन वहां एक भी मजदूर गड्ढों की खुदाई करते हुए नहीं देखा गया
जब वहां उपस्थित नाकेदार अमित जैन से जानकारी चाही गई तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से साफ मना कर दिया वही दूसरे नाकेदार एस एन कुशवाहा ने रेंजर श्री अनिल शर्मा का नाम बताएं जन से मोबाइल पर चर्चा करने के उपरांत पूछा गया कि आज देश में जो मजदूरों की हालत है उसको देखते हुए आप जेसीबी मशीन से काम करा रहा है क्या आपको मजदूर नहीं मिल रहा है क्या यह कार्य मनरेगा के तहत किया जा रहा है उन्होंने गोलमोल जवाब दिया तो मजदूर उपलब्ध नहीं हो रहा है इसलिए जेसीबी मशीनों से कार्य कराया जा रहा है जब उनसे कहा गया कि मजदूर आसपास के क्षेत्र में और भोपाल में भी हैं तो उन्होंने कहा कि भोपाल के मजदूर काम लायक नहीं है तब उन्होंने बताया कि धार झाबुआ से मजदूरों को बुलाया जा रहा है
बड़ी विचित्र बात है कि अपने घर को जा रहे हैं और समस्या देश में मजदूरों की चल रही है उनके भूखों मरने के लाले पड़े हुए हैं लेकिन स्थानीय सरकार और प्रशासन गंभीर नहीं है यह विदित होता है इस जंबूरी मैदान में लगभग 25000 पौधों का रोपण किया जाना विजिट हुआ है विभाग के श्री संजय श्रीवास्तव वहां उपस्थित नहीं थे 2 दिन पहले यह कार्य सुबह 6:00 बजे से 11:00 बजे तक किया जा रहा था लेकिन आज दिनांक 20520 को दोपहर में जेसीबी मशीनों द्वारा ताबड़तोड़ तरीके से किया जा रहा था संबंधित कर्मचारी जिसमें स्थाई कर्मी भी थे वह नाकेदारो गद्के साथ नापतोल कर रस्सी से गड्ढों के निशान बना रहे थे जिस पर जेसीबी काम कर रही थी मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान बी मजदूरों के लिए गंभीर दिखाई दे रहे हैं लेकिन उनके मातहत शायद गंभीर नहीं है?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संज्ञान में लेना चाहिए और प्रदेश में जहां भी जेसीबी मशीनों से कार्य किए जा रहे हैं वहां मजदूरों के कार्य कराने की आदेश निर्देश देना चाहिए जिससे गरीबों की भूख मिट सके और उनके परिवार भुखमरी भूखे मरने की कगार पर ना पहुंच सकें। दूसरा देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और निर्मला सीतारमण 2000000 का आर्थिक पैकेज देकर मजदूरों के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहा है क्योंकि वास्तविक पैकेज जो है जो मजदूरों के हित में जाता है वह लगभग एक लाख 89000 करोड रुपए का होता है जो कुल आर्थिक पैकेज का 0.1 होता है मजदूरों के खस्ताहाल को देखते हुए सरकार को गंभीरता से इस पर विचार करना चाहिए और तात्कालिक सुविधा के रूप में जो मशीनरी से कार्य कराए जा रहे हैं उनको मजदूरों के द्वारा कराए जाने चाहिए।
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