मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार नए क्लेवर और नए फ्लेवर के साथ होगा, पुराणों को कम नयो को ज्यादा तवज्जो दी जा सकती है, जनता की आवाज पर भी ध्यान देना होगा
मध्य प्रदेश के दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार का रूप नए कलेवर और नए फ्लेवर के साथ होगा क्योंकि सत्ता और संगठन में इस बात को लेकर बैठकर हो रही हैं कि कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए सिंधिया गुट के विधायकों को कैसे और कितने मंत्री बनाए जाएं और उन्हें कौन कौन से विभाग दिए जाएं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में ही कितने विधायक हैं कि वह मंत्री बनने के लिए उतावले हैं पुराने मंत्रियों के साथ साथ नए विधायक भी मंत्री बनने के लिए मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से जहां मिल रहे हैं वही सत्ता का एक और केंद्र बने श्री नरोत्तम मिश्रा से भी मुलाकात में लगे हुए हैं जिससे सत्ता और संगठन को समझ में नहीं आ रहा है कि करें तो क्या करें क्योंकि मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने पहला मंत्रिमंडल जो विस्तार किया है उसको भी बड़ी गंभीरता से लेते हुए सिर्फ चार और मंत्री बनाए जिनमें दो सिंधिया कोट के थे और दो भारतीय जनता पार्टी के हैं इससे दृष्टिगोचर होता है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पार्टी के अंदर बहुत ही कशमकश है लेकिन पूर्व के मंत्रियों को जहां इस मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल करने की बात है तो उसे सोच समझकर सत्ता और संगठन करने का सोच रही है वही नए विधायकों को मंत्री बनाने को लेकर भी चर्चा हो रही है ऐसे में सत्ता और संगठन जाति क्षेत्र और जनता की आवाज को पहचान कर मंत्रिमंडल का विस्तार करेगी यदि वह ऐसा नहीं करती है तो भारतीय जनता पार्टी में भी बगावत के बिगुल बज सकते हैं और मुसीबत खड़ी हो सकती है वही जनता के बीच जो मैसेज आ रहा है वह ऐसा लग रहा है कि सरकार और संगठन लॉक डाउनलोड खेल रहे हैं तारीख पे तारीख मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बढ़ रही है जिससे और ज्यादा असंतोष की संभावना पैदा हो रही है इसीलिए सत्ता और संगठन को इसमें शीघ्र ठोस विचार कर निर्णय लेना चाहिए और मंत्रिमंडल विस्तार को ज्यादा न लटका कर इसका जल्दी से जल्दी विस्तार करना चाहिए तभी सत्ता और संगठन की छवि सुधर सकती है क्योंकि कोरोनावायरस महामारी के दौर में सरकार की छवि को बनाए रखना ही असली सफलता होगी वहीं मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सत्ता और संगठन को यह भी ध्यान रखना होगा कि पिछले मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों की छवि बाजार में और मैदान में क्या है देख कर ही फैसला लेना होगा नहीं तो श्रीराम ही मालिक होंगे?
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