डीजी lap एवं शिक्षक प्रशिक्षण महज एक औपचारिकता! दसवीं की परीक्षा नहीं होगी, 12वीं के पेपर होंगे, स्कूल लेंगे ट्यूशन फीस, अतिरिक्त कोई फीस नहीं लेंगे

भोपाल- सीएम शिवराज सिंह का बयान, सभी निजी स्कूल  ट्यूशन फीस ले सकेंगे, कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा ,दसवीं के शेष रह गए पेपर अब नहीं होंगे, उनके अंक के आधार पर रिजल्ट तैयार होगा, जो पेपर नहीं हुए उनके आगे अब पास लिखा जाएगा, 12वीं की परीक्षा के शेष रहे पेपर की होगी परीक्षा, 8 जून से 16 जून के बीच परीक्षाहोगी होगी.    l-*डीजी लेप एवं मोबाइल से शिक्षक* प्रशिक्षण* महज औपचारिकता* 
भोपाल मध्य प्रदेश शिक्षक कांग्रेस के *जिला अध्यक्ष श्री सुभाष सक्सेना* द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति  में बताया गया कि मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में जो मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जो *डीजी लेप एवम शिक्षक प्रशिक्षण का* कार्य चल रहा है बो महज औपचारिकता भर बनकर रह गया है इस सम्बंध में सङ्गठन द्वारा माननीय मुख्यमंत्री ,प्रमुख सचिव और आयुक्त लोकशिक्षण को ज्ञापन देकर अनुरोध किया है कि कक्षा 1 से 8तक 
सरकारी शालाओ में 90 %बच्चे मजदूर वर्ग से आते है और वर्तमान कोरोना महामारी के संकट के समय मजदूर के परिवार को 2 जून की रोटी के लाले पढ़े है,उनके पास न ही रेडियो ,टीवी,मोबाइल है यदि किसी के पास मोबाइल है भी तो बह की पेड़ मोबाइल हो सकता है ऐसी सिथित में शिक्षक कैसे पालको को मजबूर कर सकते है,विगत 1 माह से चल रहे ,digi lep ,कार्यक्रम से यह अनुभव हुआ है कि मुश्किल से 5 प्रतिशत पालकों के पास ही मोबाइल होना पाया गया है, शेष मजदूरों की यह स्थिति है कि वह अपने राशन पानी इत्यादि के लिए भोजन वितरण जहां हो रहा है वहां से किसी न किसी तरह भोजन प्राप्त कर रहे हैं राशन की दुकान पर लाइन लग कर राशन प्राप्त करें हैं छोटे बच्चों के हाथ मे मोबाइल देने से दुरुपयोग की भी सम्भावना है ऐसी स्थिति में उनसे मोबाइल से उनके बच्चों को पढ़ाना मात्र एक औपचारिकता बन गया है इधर शिक्षकों के ऊपर भी सरकारी फरमान जारी होने के बाद देखने में आया है कि शिक्षक भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर एक दो बच्चों के फोटो डालकर औपचारिकता पूर्ण कर रहे हैं इस प्रकार यह कार्यक्रम  टोटली फेल साबित हुआ है इसमें नीचे के अधिकारी भी मात्र औपचारिकता निभाते हुए दिखाई दे रहे हैं इसी प्रकार शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी मात्र एक औपचारिकता भर रह गया है क्योंकि शिक्षकों को मोबाइल चलाने का इतना ज्ञान प्राप्त नहीं है की कार्यक्रम के अनुसार वह घर बैठे बैठे प्रशिक्षण प्राप्त कर ले इस संबंध में संगठन का कहना है कि इन कार्यक्रमों में जो संसाधन एवं शिक्षकों का समय बर्बाद किया जा रहा है उसका सदुपयोग अन्य स्थान पर किया जा सकता है और ऐसे समय में बच्चों और उनके परिवारों को भोजन और राशन की इस एवज में व्यवस्था करवा दी जाए तो अति उत्तम होगा       


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