सरकार को मनोवैज्ञानिक तरीके से सामाजिक दूरी दूर करने के लिए मनोविशेषज्ञों को मैदान में उतारना तथा कोरोना जाँच का दायरा बढाना होगा

विश्व और देश में  जिस हिसाब से कोरोना वायरस की महामारी से अधिकलोँँकडॉउन की समस्या की वजह से लोग जहां परेशान हैं उससे कई सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है ।जिस पर भी सरकार को ध्यान देना  होगा । देखने में आया है कि देश में अराजकता की स्थिति धीरे-धीरे बढ़ रही है घरेलू हिंसा के भी कुछ मामले जहां आ रहे हैं वही लूट और चोरी की समस्याएं भी बढ़ रही है। मध्य प्रदेश के राज्य महिला आयोग में घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज की गई है पिछले 1माह में इंदौर में 29 और भोपाल में 26 शिकायतें दर्ज कराई गई है।   कई घटनाएं ऐसी घट रही हैं जिससे सामाजिक धार्मिक और राजनीतिक ताना बाना   चकनाचूर होता जा रहा है । देश में विषमताए बढ़ती जा रही हैं  ।    कई ऐसी घटनाएं घट रही हैं जो हमें सोचने पर विवश कर रही है । देखने में आ रहा है कि राज्य और केंद्र सरकार की कोशिशें नाकाफी साबित हो रही  है।                                        .....                सामाजिक भारत की जनसंख्या -135 करोड़ और जाँँच नाकाफी 
यदि प्रतिदिन 1 लाख व्यक्तियों की covid-19 संक्रमण की जाँच की जाए तो 13500 दिन या लगभग 37 साल लगेंगे 135 करोड़ लोगों की जांच करने में और इतने समय मे भारत पूरी तरह कोरोना से खत्म हो चुकेगा। 
अब यदि हम इस टेस्टिंग को 10 लाख व्यक्ति प्रतिदिन भी कर दें तो भी 1350 दिन अर्थात लगभग पौने 4 साल लग जाएंगे 135 करोड़ लोगों की टेस्टिंग करने में और इतना समय भी पर्याप्त है देश को खत्म होने में।
                   छोटी सी बात समझ नही आ रही तो अमेरिका को देख लो । लॉक डाउन को अंडर एस्टीमेट करके ,टेस्टिंग पर जोर देने का नतीजा , 30 लाख से ज्यादा टेस्टिंग करने के बाद भी 35000 नागरिकों की मौत हो चुकी है और लगभग 7 लाख लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं । 
इसमें लॉक डाउन के साथ ट्रेसिंग ,टेस्टिंग दोनों शामिल है । बिना लॉक डाउन किये ,इतनी बड़ी आबादी को कोरोना से बचाना असंभव है । इसलिए स्थानीय प्रशासन के सभी निर्देशो की पालना करे और अधिकतम समय अपने घर मे रहकर इस महामारी से अपने आप को, अपने परिवार को तथा  देश को बचाने की सेवा करे।                .....                   दूरियाँ बनाम सामाजिक सम्बन्ध 
  संपूर्ण विश्व कोविड -19 से फैले संक्रमण से प्रभावित है l इससे हमारा देश भारत भी प्रभावित है l/ हमारे देश में नोबेल कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये एक सुर में प्रधान सेवक से लेकर प्रशासन ,वैज्ञानिक और मीडिया यह कह रहा है कि सामाजिक दूरी बना कर कोरोना की चैन तोड़ो l/यह सन्देश सही हो सकता है ,मगर इसे बिना दूरगामी नतीजों को जाने बिना शक्ति से लागू करने से कोरोना की चैन के टूटने के साथ साथ मानवता की चैन परिवार की चैन ,पति पत्नी की चैन और बाप बेटे की चैन भी टूटती नज़र आ रही है,  मित्रो ,रिश्तेदारो ,नौकर ,मालिक और ग्राहको के लिये तो चैन कब की टूट चुकी है/ lइंदौर उज्जैन मे अपने कर्तव्य की बलि चढ़े हमारे जाबाज सिपाहियों और डॉक्टर के अंतिम संस्कार के समय अंतिम स्पर्श तो दूर अंतिम दर्शन तक पत्नी और बच्चे नही कर सके l एक बेटे ने अपने पिता को मुखअग्नि इस डर से नही दी की कही उसे कोरोना न हो जाये l अस्पताल में भर्ती बेटे को बाप ,पति को पत्नी ,भाई कोभाई ,मित्र को मित्र देख नहीं सकता ,मिल नहीं सकता lसरकारी सेवको का तो यह हाल है कि पत्नी पति से अलग सो रही है ,बच्चे पिता के स्पर्श से बंचित है l/अभी यह शुरुआत है, आगे आगे कई ऐसी घटनाये आपके सामने आएगी और कई समाचार आप सुनोगे l/
इसका कोई मानवीय समाधान हम सबको निकालना होगा l
समय रहते यदि हम  समाधान  ढूढ़ नहीं सके कही  हमारी मजबूत सामाजिक कड़ी  टूट न जाये l/इस सामाजिक दूरी की समस्या को मनोवैज्ञानिक तरीके से दूर करने के लिये मनोविशेषज्ञ को मैदान मे उतरना होगा तथा मीडिया को संयम रखते हुऐ तथा सामाजिक रिश्ते तार तार न हो जाये ,यह देखते हुऐ  समाचार पढ़ाना और लिखना होंगे l/आज कल समाज के बड़ेबूढ़े , धर्म के उपदेशको और गुरुजानो की जगह राजनैतिक नेताओ की बातों का असर युवा पीढ़ी पर जल्दी और ज्यादा पड़ता है, इसलिए उनको भी नापेतुले शब्दों मे ही, ऐसे वक्तव्य देना  चाहिए जो सामाजिक मूल्यों को मजबूती प्रदान करें, न की छीनभिन्न l जैसा कि अभी एक व्यक्ति ने इस देश की एक बड़ी राजनैतिक  पार्टी की नेता के लिये जिन शब्दों का इस्तेमाल किया ,ऐसे शब्द इस घड़ी मे किसी भी कीमत पर नहीं बोले जाना चाहिए थे l   ऐसे ही कई नेताओं के वक्तव्य  आप हम को सुनने को मिल रहे है l इसे रोकने के लिये उसी तरह के सख्त क़ानून की जरुरत है ,जैसा कानून सरकार ने डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टॉफ को सुरक्षा और सम्मान के लिये  अभी हाल मे ही देश मे लागू किया हैl/ सामाजिक दूरी के इस लम्बे सफर में हमें सामाजिक मूल्यों को बनाये रखने ,नैतिकता को बनाये रखने और संबिधान के द्वारा निर्मित कानूनो मे आस्था की भी एक बड़ी चुनौती का सामना करना है l सामाजिक दूरी (लॉकडाउन )के चलते भूख से पीड़ित लाखो लोग सड़को पर उतर कर   लूट पाट कर रहे है,यहाँ तक तो ठीक है , कही खाने के लिये मारकाट चालू न हो जाये, इसका डर है l/   पिछले सप्ताह दो लोग खाना मांगने एक मकान मे गए ,मकान मे एक महिला ने उदारता दिखाते हुए दरवाजा खोल कर उन भूखे लोगो को बैठा कर उनके लिये रसोई घर मे खाना लेने जैसे ही गई ,उन भूखे दरिंदो ने महिला को बंदी बना कर उसके घर से सोना चांदी और नकद लेकर भाग गए l ऐसी घटनाये यदि ज्यादा हुई तो लोग चाह कर भी किसी भूखे की मदद नहीं करेंगे l   सामाजिक दूरी (लॉक डाउन ) के चलते सूने रास्ते चल कर इलाज कराने गई एक बालिका से दरिंदो ने उसके साथ अनैतिक कार्य ,कुकर्म किया l हमारे समाज में ऐसे दरिंदो को जब कोर्ट फांसी देगी तब कुछ संगठन कुछ पेशावर्ग लोग कई तरह की दलील देते हुए उनको बचाने के लिए आगे आ जायेगे l हमें कोरोना संक्रमण से जो सामाजिक दूरी रखने के लिये कहा जा रहा है ,वैसी दूरी समाज के बलात्कारियो ,चोरो ,जमा खोरो ,मिलावट करने बालों ,और गरीबो का हक़ छीनने बालों  से दूरी बनाने की अपील भी प्रधान सेवक से लेकर हर स्तर पर करना चाहिए l ऐसे कठोर निर्णय लेने से भागना नहीं चाहिए l/ सही मायने में सामाजिक दूरी का अर्थ समाज के सामने आये l/आओ हम सब मिल कर सामाजिक रिश्तों को मजबूत बनाये l/आओ हम कोरोना संक्रमण से दूरी बनाये ,न कि मानवीयता  से,न कि रिश्तों से, न कि सामाजिक मूल्यों से ,न कि नैतिकता से ,न कि सामाजिक सम्बन्धो से l.      लेखक वीरेंद्र कुमार बाथम IAS retd
जल भूमि अधिकार मिशन ,भोपाल (मध्य प्रदेश )


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