पिंजरे में कैद मनुष्य और पशु पक्षी जानवर आजाद क्यों ? अंतर्राष्ट्रीय कलाकार, प्रकृति प्रेमी श्याम आनंद और कलाबाई
पूरे विश्व में एक कीटाणु विषाणु की वजह से जहां हाहाकार मचा हुआ है वहां भोपाल के गोंड कला के सब पत्नी कलाकार श्याम आनंद और उनकी पत्नी कलाबाई प्रकृति के रंगों और प्रकृति के क्रियाकलापों और शैली के बारे में बताते हैं कि प्रकृति की छेड़खानी हमेशा मनुष्य को परेशानियां और मुश्किलों में ही डालती हैं वर्तमान का मनुष्य जो जंगलों पशु पक्षियों और जानवरों के साथ जो अन्याय कर रहा है वह उचित नहीं है जिसकी सजा कोरोना वायरस के रूप में आज दिखाई दे रही है उन्होंने अपनी पेंटिंग में डेस्टिनेशन और मनुष्य और पशु पक्षियों जानवरों के बीच की खाई को उकेरा है और अपनी आदिवासी गोंड कला के द्वारा बताया है कि मनुष्य और पशु पक्षी जानवरों के बीच में जो जंग चल रही है उसी जंग का परिणाम कोरोनावायरस जैसी महामारी प्रकृति द्वारा प्रदत की जा रही है मनुष्य अपनी आवश्यकताओं के बीच इतना अंधा हो गया है कि वह प्रकृति से दूर होता जा रहा है जो उसे नहीं होना चाहिए प्रकृति का दोहन तब तक करना चाहिए जब तक आप उसकी रक्षा और सुरक्षा नहीं करते हैं लेकिन अंधाधुंध वनों की कटाई और प्रकृति के विपरीत चलना ही मनुष्य की समस्याओं का कारण होता जा रहा है। गोंड कलाकार श्रीमती कलाबाई आनंद ने बताया कि
हम प्रकृति पूजक हैं और आदिवासी तो सदियों से जंगलों में प्राकृतिक संपदा ओं को संरक्षित और सुरक्षित रखते हैं जिसका असर हमारी जींस में विद्यमान है प्रकृति हमको वह सब दे रही है जो हमें जरूरत हैं लेकिन हम इनसे दूर होते जा रहे हैं मनुष्य की सुरक्षा और रक्षा प्रकृति के दोहन में नहीं उसकी रक्षा में है वही श्यामानंद का कहना है कि आज मनुष्य एक छोटे से विटामिन वायरस से जहां परेशान और हैरान है वहीं विश्व की सारी ताकतें जिनके पास करोड़ों रुपए अरबों रुपए खर्च कर मिसाइल पनडुब्बियों और हथियार बनाए गए हैं वह आज अपने आप को असहाय सा महसूस कर रहे हैं इसकी वजह प्रकृति के ऊपर विश्वास न करना सबसे बड़ा कारण है आदिवासियों के डीएनए में ही सारे कीटाणु विषयों से लड़ने की ताकत है वही शहरों में रहने वाले मनुष्य आज मुश्किल में है और अपने घरों में बंद है जब्ती पशु पक्षी और जानवर आजाद घूम रहे हैं मनुष्य आज कैद में जी रहा है और वह स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं मनुष्य को अपने कर्मों और कार्यशैली पर ध्यान देना चाहिए इसी वजह से हमने गोंड कला के माध्यम से संसार को समझाने की कोशिश की है जो हमारी कलाकृति में आप देख सकते हैं प्रकृति से जुड़ा रहना ही मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है और उसे प्रकृति का उपासक और पूजा होना चाहिए यदि वह ऐसा नहीं करता है तो वह से भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। देख के साथ श्यामानंद और कलाबाई की गोंड कलाओं का चित्र भी दिया गया है जिसमें उन्होंने मनुष्य और प्रकृति के बीच की खाई को दूर करने को अपनी पेंटिंग में संदेश दिया है।
Comments
Post a Comment