लॉक डाउन के इस माहौल में भी अधिकारियों द्वारा आरटीआई की शीघ्र जानकारी देकर सूचना अधिकार का पालन, काश हर मामले में इसी तरह गंभीर हो अधिकारी
*RTI के तहत जानकारी देने में कई मामलों में सालो लग जाते है वहा देश मे संभवतः पहली बार लॉकडाउन के समय तत्काल RTI की जानकारी देने का रोचक मामला मध्यप्रदेश के रीवा से सामने आया है
*लॉकडाउन के समय जहाँ सिर्फ़ इमरजेंसी व्यवस्थाएं चालू है वहाँ RTI के तहत जानकारी देने के इस पहले मामले में रीवा जिले के फ़ूड कंट्रोलर ने मात्र 12 घंटे के भीतर जानकारी दे दी। यही नहीं सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करते हुए व्हाट्सएप्प के माध्यम से जानकारी भेजी गई।*
*रीवा के नईगढ़ी के आवेदक राघवेंद्र दुबे ने कोरोना के समय ग़रीब लोगो के लिए खाद्यान वितरण से संबंधित जानकारी 24 अप्रेल को मांगी थी। फ़ूड कंट्रोलर राजेन्द्र ठाकुर ने 24 अप्रेल को ही ये जानकारी व्हाटसअप के माध्यम से आवेदक को उपलब्ध करवा दी। रोचक बात ये है कि आमतौर पर महीनों-सालो RTI आवेदन पेंडिंग रखने वाले अधिकारियों में ये तेजी आख़िर आई कहा से। दरसल लॉकडाउन शुरू होने से पहले ही इसी अधिकारी के ऊपर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ₹ 1250 का जुर्माना लगाया था। इस मामले में शिवानंद द्वेवेदी नाम के आवेदक ने भुखमरी के कगार पर ग़रीबी रेखा के नीचे एक आदिवासी राशन हितग्राही की जानकारी मांगी थी क्योंकि उसको राशन नही मिल रहा था। पर इसी अधिकारी ने जानकारी 48 घंटे में उपलब्ध नहीं कराई। जानकारी नही मिलने पर सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने तत्काल प्रकरण का संज्ञान ट्विटर पर लिया और ईमेल और व्हाटसअप के माध्यम से फ़ूड कंट्रोलर राजेन्द्र ठाकुर को 48 घंटे में जानकारी नही देने पर नोटिस जारी किया था। ये मामला अपने आप मे अनोखा था क्योंकि राज्य सूचना आयोग के इतिहास में पहली बार मात्र 5 घंटे के अंदर शिकायत आने पर नोटिस जारी करके कार्यवाई की गई थी। राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा था कि राशन से संबंधित जानकारी भारतीय संविधान के मूल अधिकार अनुछेद 21 जीवन का अधिकार और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (राइट टू फ़ूड) से जुड़ा हुआ है।*
*इस प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर रोचक प्रतिक्रिया हो रही है। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा है कि "मुझे खुद आश्चर्य हो रहा है। पर ज्यादा खुशी है, गर्व है कि कोरोना के समय जानकारी उपलब्ध कराने का संभवतः ये पहला मामला है। इसके लिए लोक सूचना अधिकारी, जिला खाद्य अधिकारी राजेन्द्र ठाकुर बधाई के पात्र है।"*
*वही समाजसेवक शिवानंद ने टिप्पणी दी "चलिए यह तो अच्छा हुआ कि एक बार फाइन लगने के बाद लोगों की कार्य पद्धति में अच्छा सुधार हो गया है। अब तो यह बात समझ में आने लगी की #RTI2005 और वह भी जीवन जीने का अधिकार कितना महत्वपूर्ण होता है। निश्चित तौर पर भोजन का अधिकार जीवन जीने के अधिकार से संबंधित है। Sir @rahulreports जी"*
*लॉकडाउन के समय जहाँ सिर्फ़ इमरजेंसी व्यवस्थाएं चालू है वहाँ RTI के तहत जानकारी देने के इस पहले मामले में रीवा जिले के फ़ूड कंट्रोलर ने मात्र 12 घंटे के भीतर जानकारी दे दी। यही नहीं सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करते हुए व्हाट्सएप्प के माध्यम से जानकारी भेजी गई।*
*इस प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर रोचक प्रतिक्रिया हो रही है। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा है कि "मुझे खुद आश्चर्य हो रहा है। पर ज्यादा खुशी है, गर्व है कि कोरोना के समय जानकारी उपलब्ध कराने का संभवतः ये पहला मामला है। इसके लिए लोक सूचना अधिकारी, जिला खाद्य अधिकारी राजेन्द्र ठाकुर बधाई के पात्र है।"
*रीवा के नईगढ़ी के आवेदक राघवेंद्र दुबे ने कोरोना के समय ग़रीब लोगो के लिए खाद्यान वितरण से संबंधित जानकारी 24 अप्रेल को मांगी थी। फ़ूड कंट्रोलर राजेन्द्र ठाकुर ने 24 अप्रेल को ही ये जानकारी व्हाटसअप के माध्यम से आवेदक को उपलब्ध करवा दी। रोचक बात ये है कि आमतौर पर महीनों-सालो RTI आवेदन पेंडिंग रखने वाले अधिकारियों में ये तेजी आख़िर आई कहा से। दरसल लॉकडाउन शुरू होने से पहले ही इसी अधिकारी के ऊपर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ₹ 1250 का जुर्माना लगाया था। इस मामले में शिवानंद द्वेवेदी नाम के आवेदक ने भुखमरी के कगार पर ग़रीबी रेखा के नीचे एक आदिवासी राशन हितग्राही की जानकारी मांगी थी क्योंकि उसको राशन नही मिल रहा था। पर इसी अधिकारी ने जानकारी 48 घंटे में उपलब्ध नहीं कराई। जानकारी नही मिलने पर सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने तत्काल प्रकरण का संज्ञान ट्विटर पर लिया और ईमेल और व्हाटसअप के माध्यम से फ़ूड कंट्रोलर राजेन्द्र ठाकुर को 48 घंटे में जानकारी नही देने पर नोटिस जारी किया था। ये मामला अपने आप मे अनोखा था क्योंकि राज्य सूचना आयोग के इतिहास में पहली बार मात्र 5 घंटे के अंदर शिकायत आने पर नोटिस जारी करके कार्यवाई की गई थी। राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा था कि राशन से संबंधित जानकारी भारतीय संविधान के मूल अधिकार अनुछेद 21 जीवन का अधिकार और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (राइट टू फ़ूड) से जुड़ा हुआ है।
*वही समाजसेवक शिवानंद ने टिप्पणी दी "चलिए यह तो अच्छा हुआ कि एक बार फाइन लगने के बाद लोगों की कार्य पद्धति में अच्छा सुधार हो गया है। अब तो यह बात समझ में आने लगी की #RTI2005 और वह भी जीवन जीने का अधिकार कितना महत्वपूर्ण होता है। निश्चित तौर पर भोजन का अधिकार जीवन जीने के अधिकार से संबंधित है। Sir @rahulreports जी"*
*राघवेंद्र दुबे लिखते है कि "यह एक नई क्रांति है #RTI कानून में , अधिकारियों द्वारा अब इसे गंभीरता से लिया जा रहा हैं । जहाँ पहले आवेदन सालो तक दबे रहते थे वहां आज चंद घंटों में जानकारी उपलब्ध हो रही हैं।" *
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