कौन कर रहा है किसके साथ विश्वासघात ,"तू डाल डाल मैं पात पात "संकट में प्रदेश सरकार?

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पिछले 1 हफ्ते से संकटों से घिरी हुई है उसके 22 विधायक मैं से 6 विधायकों के इस्तीफे जाएं स्पीकर एनपी प्रजापति ने स्वीकार कर लिए हैं वही आज सुबह हुए राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान राज्यपाल महामहिम लालजी टंडन ने मध्यप्रदेश के गौरव को बचाने के बाद विधायकों को कहीं राज्यपाल के अभिभाषण के उपरांत स्पीकर श्री प्रजापति ने 26 मार्च तक के लिए विधानसभा सत्र को स्थगित कर दिया है इसके उपरांत दिन में भारतीय जनता पार्टी के विधायक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गोपाल भार्गव के नेतृत्व में राजभवन पहुंचे उन्होंने राज्यपाल के सामने अपने विधायकों की परेड कराई और उन्हें 107 विधायकों की सूची सौंपी इन विधायकों ने राज्यपाल श्री टंडन के सामने चौरे सिग्नेचर किए वही मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी राज भवन के अंदर उपस्थित थे इस घटनाक्रम के उपरांत सुप्रीम कोर्ट में भारतीय जनता पार्टी ने तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने के लिए याचिका दायर की शाम को मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनेआवास पर विधायकों की मीटिंग के उपरांत सीधे राजभवन पहुंचे राजभवन ने  श्री कमलनाथ ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वह संविधान और संवैधानिक परिस्थितियों का पालन करने के लिए भारतीय जनता पार्टी को कहें। और उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जो दूसरे प्रदेश में कांग्रेश के 16 विधायकों को बंधक बनाकर रखा है उन्हें रिहा कराएं और विधानसभा में या मीडिया के सामने उन्हें प्रस्तुत करें हमारी सरकार बहुमत में है हमारी सरकार को कोई खतरा नहीं है। वही भारतीय जनता पार्टी के विधायक विशेष विमान से दिल्ली रवाना होने वाले थे लेकिन किन्ही कारणों से वह दिल्ली नहीं गए और एयरपोर्ट से वापस राजधानी में अपने ठिकानों पर आए। पिछले 1 हफ्ते से चल रहा है इस घटनाक्रम के उपरांत वर्तमान में जो स्थिति समझ में आ रही है उससे ऐसा लगता है कि राज्यपाल संभवत राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकते हैं वहीं यदि सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश देता है तो फिर फ्लोर टेस्ट हो सकता है इन परिस्थितियों में फंसे मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार  का संकट सुलझने का  नाम नहीं ले रहा अब देखना यह है कि  मध्यप्रदेश की विधानसभा  भंग होती है या मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार  अपना बहुमत साबित कर   पाती  है  चर्चाओं का बाजार गर्म है कि  जब 22 विधायकों ने  विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया था तो उनमें से सिर्फ़ 6 विधायकों के इस्तीफे ही विधानसभा अध्यक्ष ने क्यों मंजूर किए गए है। बाकी 16 विधायकों के क्यों नहीं? उधर ग्वालियर में एक विधायक श्री मुन्नालाल गोयल के अपहरण का केस कर्ज हुआ है जिससे बंधक विधायकों के विषय में भारतीय जनता पार्टी कटघरे में खड़ी है। एक साधे सब सधे सब साधे सब जाए इस मुहावरे से यह सिद्ध होता है कि कांग्रेश के नेता यदि अपने नेता को साध लेते तो आज जो संकट मध्य प्रदेश सरकार पर है वह नहीं होता लेकिन नजरअंदाज करना ही कमलनाथ सरकार की सबसे बड़ी खामी रही है। तू डाल डाल मैं पात पात की स्थिति भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में चल रही है संवैधानिक और तकनीकी वजह से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार का संकट जहां गहरा रहा है वहीं भारतीय जनता पार्टी भी कहीं ना कहीं अपने आप को कमजोर समझ रही है अब देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है और कौन अपनी विजय पताका फहराता है।


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