राजधानी भोपाल में लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशन को मालिकों द्वारा धरना प्रदर्शन
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पत्रकारों द्वारा मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग की नीतियों के खिलाफ जंगी प्रदर्शन किया गया यह प्रदर्शन जनसंपर्क संचनालय बानगंगा पर आयोजित हुआ इस कार्यक्रम में कई पत्रकार संगठनों के अध्यक्ष एवं प्रतिनिधि उपस्थित हुए जिन्होंने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन दिया इस सांकेतिक हड़ताल के द्वारा सरकार से मांग की गई कि लघु एवं मध्यम समाचार पत्र-पत्रिकाओं को जो विज्ञापन दिए जाते हैं वह दिए जाएं और सरकार द्वारा जो जिला कलेक्टर के नेतृत्व में पांच विभागों की जांच समिति बनाई गई है उस जांच कमेटी को रद्द किया जाए तथा नई विज्ञापन नीति बनाकर सभी लघु समाचार पत्र-पत्रिकाओं को वर्ष में 6 विज्ञापन दिए जाएं इन्हीं मांगों को लेकर किए गए धरना प्रदर्शन के दौरान जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों एवं मंत्री से चर्चा में जो निर्णय हुए वह बड़े विचित्र हैं क्योंकि कोई स्पष्ट आदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा इस मामले में नहीं दिए गए फिर भी पत्रकारों का धरना प्रदर्शन सरकार को एक चेतावनी के रूप में सफल रहा ज्ञात हुआ है कि जनसंपर्क विभाग द्वारा जो जांच समिति बनाई गई थी उस समिति को स्थगित कर संचनालय द्वारा सीधे समाचार पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशक मालिकों को बताया गया कि वह जिला कलेक्टर के नेतृत्व में बनी समिति के पास अपने दस्तावेज प्रस्तुत ना कर सीधे संचनालय जन संपर्क विभाग मैं जमा करें इसके उपरांत जैसे-जैसे प्रोफार्मा में समाचार पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशक और मालिक जानकारी प्रस्तुत कर देंगे उसके उपरांत वैसे वैसे विज्ञापन जारी किए जाएंगे आपको नियमानुसार जनसंपर्क विभाग में जानकारी तो जमा करना ही पड़ेगी ऐसा जनसंपर्क विभाग के उच्च अधिकारियों ने बताया। जहां समाचार पत्र-पत्रिकाओं के लिए विज्ञापन का रास्ता खुला वही जिन समाचार पत्र-पत्रिकाओं के दस्तावेज पूर्ण रूप से सम्मिलित किए जाएंगे उन्हीं को ही विज्ञापन जारी करने का यह आदेश किस हद तक जाता है यह भविष्य के गर्त में है वही समाचार पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशकों और मालिकों को जानकारी तो देना ही पड़ेगी जिसकी स्कूटनी होने के बाद ही विज्ञापन समाचार पत्र पत्रिकाओं को दिए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि जांच कमेटी हमारी सरकार ने नहीं बनाई यह पहले से ही 20 14 और 18 में बनी हुई जांच कमेटी के आधार पर ही समाचार पत्र पत्रिकाओं के प्रकाश को और मालिकों से जानकारी मांगी जा रही थी जो उन्हें देना ही पड़ेगी क्योंकि इसी आधार पर समाचार पत्र-पत्रिकाओं को विज्ञापन जारी किए जाएंगे और उन्हें जनसंपर्क विभाग की नियम अनुसार सुविधाएं भी दी जाएंगी एक और मांग पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर है वह भी शीघ्र ही बैठक कर निर्णय लिया जाएगा और प्रेस प्रोटेक्शन एक्ट को लागू किया जाएगा इस अवसर पर समाचार पत्र पत्रिकाओं के मालिकों प्रकाशकों और संगठनों ने अपनी जी भर कर भड़ास माइक पर निकाली यदि सरकार पत्रकारों की मांगों को भविष्य में पूर्ण नहीं करती है तो एक बड़े आंदोलन की चेतावनी भी सांकेतिक हड़ताल के मंच से जनसंपर्क विभाग एवं सरकार को दी गई। पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों ने मंच पर अपने उद्बोधन में कहा कि छोटी पत्र पत्रिकाएं ही ग्रामीण क्षेत्र तक सरकार और जनता के बीच में सेतु का काम जहां करती है वही सरकार को बनाने और गिराने में भी सक्षम है दूसरा सरकार की नीतियों के खिलाफ भी प्रतिनिधियों ने अपने उद्बोधन दिए जिसमें विज्ञापन नीति अधिमान्यता और समय-समय पर सरकार द्वारा किए जारहे आयोजनों पर भी कुठाराघात किया गया। जनसंपर्क विभाग द्वारा बताया गया कि जो समाचार पत्र पत्रिकाएं विज्ञापन सूची में शामिल हैं उन्हीं को ही विज्ञापन जारी किए जाएंगे दैनिक समाचार पत्रों के अलावा साप्ताहिक एवं पाक्षिक मासिक पत्र-पत्रिकाओं को भी विज्ञापन दिए जाएंगे जिस पर विचार किया जा रहा है फिलहाल अभी ऐसी कोई सरकार की मंशा नहीं है लेकिन भविष्य में शीघ्र ही इन मांगों पर विचार किया जाएगा और पत्रकारों के हित में काम किया जाएगा।
पत्रकार एकता की जीत हुई...
सरकार ने जिला स्तरीय समिति की अनिवार्यता खत्म की,
पूर्ववत जनसम्पर्क संचालनालय में ही लिए जाएंगे पुनरीक्षण फार्म
साप्ताहिक, मासिक, और पाक्षिक को पुनरीक्षण फार्म नही देना होगा
मप्र सरकार के जनसम्पर्क मंत्री पी.सी.शर्मा ने लघु और मध्यम समाचार पत्र-पत्रिकाओं की लंबे समय से चली आ रही समस्या का समाधान करते हुवे पुनर्निरीक्षण प्रक्रिया को सरल कर दिया हैं।शर्मा ने विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ,संचालक ओपी श्रीवास्तव और विज्ञापन शाखा के अपर संचालक एच एल चौधरी को निर्देशित किया कि पुनर्निरीक्षण के समस्त दस्तावेज जिला मुख्यालय पर न जमा कराते हुवे जनसम्पर्क संचालनालय में पूर्वानुसार प्रस्तुत करें, जिला स्तर पर बनी कमेटी की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई हैं, साथ ही प्रपत्र में भी सरलीकरण किया गया हैं।जमा करने कोई समय सीमा भी नहीं रहेगी, जिस दिन से जानकारी जमा होगी उसके विज्ञापन फिर से शुरू हो जाएंगे।साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक के लिए पुनर्निरीक्षण की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गई हैं।
आज 5 फरवरी को जनसम्पर्क संचालनालय के मुख्य द्वार पर धरना दे रहे लघु और मध्यम समाचार पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशकों, सम्पादकों और पत्रकारों के धरना स्थल पर यह घोषणा संचालक जनसंपर्क ने की।
यह भी आश्वासन दिया गया कि जल्द ही संशोधित आदेश सभी जिलों में भिजवा दिया जाएगा।पत्रकारों की एकता ने सरकार को बाध्य किया,
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