मध्यप्रदेश में शिक्षा का स्तर ठीक नहीं शिक्षा के अधिकार से बच्चे वंचित - श्री राजन सिंह सदस्य आईयूसीएन शिक्षा आयोग

राजधानी भोपाल में श्री राजन सिंह भारत सरकार के प्रतिनिधि नेएक प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत आने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रदेश की शिक्षा स्थिति को बदहाल कर दिया गया है आईयूसीएन के शिक्षा आयोग मैं प्रतिनिधि राजन सिंह ने बताया कि जहां एक तरफ मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार हर घर तक अच्छी शिक्षा पहुंचाने हेतु संकल्पित है वहीं मध्य प्रदेश शासन के स्कूल अपने भ्रष्टाचार के मामले से सुर्खियों में है सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं देने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है अफसरों ने सरकारी स्कूलों को बिजली से रोशन करने के मामले में गंभीरता से काम नहीं किया है नतीजा यह है कि आज भी 67902 स्कूलों में अंधेरा छाया हुआ है इन स्कूलों में विद्यार्थी आज भी कंप्यूटर से लेकर पंखे कूलर की हवा भी नहीं ले पा रहे हैं स्कूलों में स्वच्छ पानी की कोई बुनियादी व्यवस्था नहीं है स्कूल के शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 94000 सरकारी स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है जिसके लिए सन दो हजार सत्रह अट्ठारह में विभाग ने चार करोड़ से ज्यादा की राशि का आवंटन जारी किया था इसके बावजूद सिर्फ 25329 स्कूलही बिजली से जगमग  पाए हैं वहीं श्री राजन सिंह ने बताया कि कैग की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में 2010 से 31 मार्च 2016 तक शिक्षा का अधिकार कानून सही ढंग से लागू नहीं हुआ है इस कानून के तहत प्रत्येक आबादी वालेइलाके में शालाहोनी चाहिए लेकिन प्रदेश में हालात ठीक इसके विपरीत है साल 2015 से 2016 में प्रदेश के 95198 इलाकों में केवल 82872 प्राथमिक शाला आई थी जबकि शेष इलाकों के बच्चे इस सेवा से वंचित रह गए शिक्षकों के संदर्भ में बात करते हुए उन्होंने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून शिक्षकों की संख्या और योग्यता पर भी विशेष ध्यान दिया है यह कानून टीचर विद्यालय और अप्रशिक्षित टीचर के खिलाफ है लेकिन 2010 से 2016 तक के सर्वे में पाया गया कि प्रदेश में कुल 18213 टीचर विद्यालय में थे एक ही टीचर के भरोसे चल रहा था साल 2013 में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके अनुसार मध्य प्रदेश में 52% शिक्षकों के पास पढ़ाने की ट्रेनिंग ही नहीं थी वही गौर करने वाली बात यह है कि शिक्षा का अधिकार योजना के लिए सरकार के पास अलग से कोई बजट ही नहीं था सरकार हर साल सर्व शिक्षा अभियान के मिलने वाले बजट औरफंड में से ही अपना खर्चा शिक्षा के ऊपर चला रही थी वही श्री राजन सिंह ने यह भी बताया कि कांग्रेसी सरकार द्वारा सन 2019 के लिए स्कूली शिक्षा बजट ₹153096096 किया है सरकार के पास भारी-भरकम बजट होने के बावजूद शिक्षा का स्तर जहां गिर रहा है वहीं स्कूली बच्चों को पूर्ण बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही है जिस पर कमलनाथ सरकार को ध्यान देना चाहिए वहीं उन्होंने दूसरी और बताया कि प्राइवेट स्कूल मध्य प्रदेश में अपनी मनमानी कर रहे हैं और गरीब और निर्धन बच्चों को अपने स्कूलों में जांच सुविधाएं नहीं दे रहे हैं वहीं उनकी फीस वसूली भी विदेशी स्कूलों की तरह है और शिक्षा का स्तर भी जिस मानक के हिसाब से होना चाहिए वह भी उनके द्वारा नहीं दिया जा रहा है सिर्फ एक ग्लैमरस शिक्षा की पद्धति चल रही है और धरातल पर शिक्षा का स्तर प्राइवेट स्कूलों में भी ठीक नहीं है और सरकार के नियमों का भी गंभीरता से पालन नहीं कर रहे हैं जिन्हें उन्हें सुधारना होगा। कमलनाथ सरकार को कुपोषण और शिक्षा पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए क्योंकि बच्चे ही हमारे भारत और देश के भविष्य हैं नहीं तो बाल अधिकारों का क्या महत्व रह जाएगा ।


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