ज्योरादित्य सिंधिया वन सकते हैं प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री या कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष या फिर बनाए जा सकते हैं राज्यसभा में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सदस्य ?
कांग्रेस के पूर्व महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया वन सकते हैं प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री या कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष या फिर बनाए जा सकते हैं राज्यसभा में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सदस्य ? क्योंकि मध्यप्रदेश में इन दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर जनमानस सहित कांग्रेश और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर चौक चौराहों सहित बंद कमरों में चर्चाएं चल रही है जिस तरह से विगत दिनों श्री सिंधिया को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेश सहित राष्ट्रीय स्तर पर अनदेखा किया जा रहा है उससे जन चर्चा का विषय जहां बना हुआ है वही कांग्रेश संशय के घेरे में चल रही है गुटबाजी सहित प्रदेश के समस्याओं को लेकर एक प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है अभी-अभी श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा अतिथि शिक्षकों के समर्थन में सड़क पर उतरने की जो बात कही गई उससे प्रदेश की सियासत गरमा गई है क्योंकि वह कांग्रेस के वरिष्ठ जननेता जनप्रतिनिधि हैं और उनकी ही सरकार है इसके बाद भी उन्हें अपनी सरकार के खिलाफ जनता के साथ सड़क पर उतरना पड़ रहा है यह एक सोचनीय विषय है जो कांग्रेश सरकार के खिलाफ ही जाता है जबकि वह प्रदेश सरकार में अपने समर्थकों के साथ बैठे हुए हैं और शिक्षक संघों की समस्याएं उनके ही विभाग से जुड़े हुए मंत्री से संबंधित है इससे ऐसा लगता है कि कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा जो मंत्री बनाए गए हैं वह सिर्फ नाम मात्र के हैं और उनकी प्रदेश सरकार में बिल्कुल भी नहीं चल रही है जिससे उनके विभाग से संबंधित कर्मचारियों की समस्याएं हल नहीं हो रही है इन्हीं बातों को लेकर श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वचन पत्र के वचनों को पूर्ण कराने के लिए सड़क पर उतरने की बात कही है जो कांग्रेस के प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को नागवार गुजर रही है इसलिए उन्होंने कहा कि जिसे सड़क पर उतरना है उतरे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है इसलिए उन्होंने कहा कि वचन पूरे करने के लिए पूरे 5 साल बाकी है सारे वचन को 5 साल में पूरा किया जाएगा लेकिन शायद उन्हें यह पता नहीं है कि उन्होंने वादे में कहा था कि 90 दिन में अतिथि शिक्षकों और अतिथि विद्वानों की समस्या हल हो जाएंगी लेकिन कांग्रेस सरकार का 1 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है और समस्याएं जस की तस हैं कई अतिथि शिक्षकों और विद्वानों की इस दरमियान मृत्यु हो चुकी है जिनके परिवार भूखे मरने की कगार पर हैं शायद इसी व्यथा से व्यथित होकर श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सड़क पर उतरने की बात की है जो कमलनाथ सरकार के खिलाफ जाती है वह वाजिब भी है बड़े अचंभे की बात है कि सत्ता और संगठन दोनों पद पर एक ही व्यक्ति विराजमान है प्रदेश के मुख्यमंत्री भी वही और प्रदेश के अध्यक्ष भी वही हैं । उनसे ना संगठन संभल रहा है और ना सरकार ही संभल रही है प्रदेश में चारों तरफ कर्मचारी संगठनों के आंदोलन धरना प्रदर्शन चल रहे हैं वहीं संगठन कमजोर साबित हो रहा है अमूमन कांग्रेस के कार्यकर्ता भी नाराज और आक्रोशित हैं क्योंकि उनके कोई काम नहीं हो रहा है और ना ही उनकी कोई पूछ परख सत्ता और संगठन में हो रही है ऐसा प्रतीत होता है इसी वजह से कांग्रेश के अन्य गुटों के लीडर अपने आपको असहज और अपमानित महसूस कर रहे हैं? अगर सत्ता और संगठन के यही हाल रहे तो आने वाले नगर निगम नगर निकाय चुनाव में कांग्रेश को बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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