दिल्ली दंगों का नुकसान किसको और फायदा किसको हुआ दिल्ली सरकार ने राहत की की घोषणा

दिल्ली की प्रदेश सरकार और देश की केंद्र सरकार के बीच रस्साकशी चल रही है दिल्ली के लोग जहां मुसीबत में है वहां सभी दलों ने अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेकी है और  सेक रहे हैं  नुकसान आवाम का ही हुआ जहां सैकड़ों दुकानें जल गई वही लगभग 38 लोग बेमौत मारे गए और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हैं इसमें आईबी के अधिकारी श्री अंकित शर्मा और हेड कांस्टेबल रतनलाल उपद्रवियों के शिकार जहां हुए वहीं पुलिस प्रशासन का रवैया कमजोर ही रहा है उपद्रव और दंगों की आंधी और तूफान तो कुछ समय के लिए गुजर गई है लेकिन इसके लिए दोषी कौन हैं ? यह समझने की जरूरत है दिल्ली में जहां सांप्रदायिक सौहार्द भाव दिखा वही कुछ उग्र लोग अपने मिशन में कामयाब रहे हिंदुओं ने मुसलमानों की मस्जिदों को जहां बचाया वही मुसलमानों ने भी हिंदुओं के मंदिरों को सुरक्षा प्रदान की यह एक सराहनीय कार्य रहा लेकिन अमूमन यह हादसा कुछ सबक देकर जाता है जिस पर देश की आवाम दिल्ली की आवाम को सोचना पड़ेगा और सौहार्द्र का माहौल निर्माण करना पड़ेगा दिल्ली सरकार ने अपने बचाव के लिए जिन लोगों को नुकसान हुआ है उनके ऊपर दर्द को कम करने के लिए मुआवजे की मरहम जरूर लगा दी है दिल्ली सरकार  के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने घोषणा करते हुए पीड़ितों को यथाशीघ्र राहत पहुंचाने के लिए संबंधित विभागों को निर्देश आदेश जारी किए हैं दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग और वित्त विभाग को पीड़ितों की सहायता के लिए तेजी से काम करने के आदेश देने के बाद हिंसा में घायल सभी लोगों को इलाज की योजना फरिश्ते के तहत निजी अस्पतालों में भी राहत और इलाज मुफ्त मिलेगा। कर्फ्यू वाले क्षेत्रों में जो लोग निकल नहीं पा रहे हैं सरकार वहां दिल्ली सरकार ने  पुनर्वास के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन की सेवा भी शुरू कर दी है  और खाना पहुंचाने की मुहिम भी चला रही है । दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मुआवजे का ऐलान करते हुए मृतकों के परिजनों को ₹1000000 नाबालिगों की मौत पर ₹500000 गंभीर रूप से घायलों को ₹200000 मामूली रूप से घायलों को ₹20000 रिक्शे  क्षतिग्रस्त होने पर ₹25000 ई रिक्शा के नुकसान पर ₹50000 जिनका घर और दुकान हादसे में जली उन्हें ₹500000 विकलांग हुए लोगों को 500000 एवं अनाथ हुए बच्चों को ₹300000 की घोषणा की है वहीं केजरीवाल ने अपने को सही साबित करने के लिए कहा है कि अगर पुलिस मेरे हाथ में होती तो यह दंगा नहीं होता जिस पर मैं सख्त एक्शन लेता। दंगे पर राजनीति करने के बजाय पुलिस और गृह मंत्रालय पर कार्यवाही की जानी चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। वही इस्लामिक देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन ने इस घटना पर गहरा दुख जाहिर किया है और सरकार को दोषी ठहराया है उन्होंने इस कार्रवाई को मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की निंदा करना बताया है ऐसे वक्त पर किसी दूसरे देशों का और संगठनों का हस्तक्षेप करना कहां तक उचित है यह समझने की बात है इस घटना में हिंदू मुसलमान सभी लोग हताहत हुए हैं सभी को सांप्रदायिक सद्भाव की भावना से आगे की स्थिति को दुरुस्त कर ऐसी स्थिति बनने से रोकना चाहिए।


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