भाजपा के प्रदेश कप्तान बने सांसद ब्रह्मदत्त शर्मा वही कांग्रेस में वर्चस्व को लेकर घमासान
मध्य प्रदेश मैं इन दिनों जो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में फेरबदल का माहौल चल रहा है उसके तहत भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश की कमान खजुराहो से सांसद ब्रह्मदत्त शर्मा को जहां सौंपी है वहीं राकेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया है दूसरी ओर कांग्रेश के मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि श्री सिंधिया को सड़क पर उतरना है तो उतरे जिससे कोई फर्क नहीं पड़ता वही दिल्ली में आयोजित हुई समन्वय समिति की बैठक में विवाद के बाद ज्योतिराज सिंधिया बैठक छोड़कर बाहर आ गए क्योंकि कांग्रेश में भी प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर जहां घमासान मचा हुआ है वहां दिग्विजय सिंह अनुशासनहीनता की कार्रवाई पर जोर दे रहे हैं इससे कांग्रेश की राजनीति जहां गरमा गई है वही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर घमासान मचा हुआ है अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष ब्रह्मदत्त शर्मा अपना संगठन और कमांड पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों पर कैसा रखते हैं क्योंकि वह कार्यशैली को लेकर तेजतर्रार माने जाते हैं जो उन्हें भारतीय जनता पार्टी के संतुष्ट असंतुष्ट दोनों कार्यकर्ताओं पर संगठनात्मक कार्य करना होगा क्योंकि विगत विधानसभा और उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने मुंह की खाई है वही प्रदेश कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर कई तरह की अटकलें चली आ रही है वही सिंधिया ग्रुप के विधायक जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए बेताब बैठे हुए हैं और दिल्ली तक अपनी नजर रखे हुए हैं लेकिन इसके बावजूद कांग्रेश हाईकमान निर्णय लेने में जहां कमजोर साबित हो रहा है वही गुटों में तनातनी बढ़ती जा रही है अब देखना यह है कि कमलनाथ ग्रुप दिग्विजय सिंह ग्रुप सुरेश पचौरी ग्रुप और सिंधिया ग्रुप में प्रदेश अध्यक्ष की कौन बाजी मारता है क्योंकि इन चारों की कभी सहमति बन जाती है कभी असहमति बन जाती है सरकार की वचन पत्र को लेकर कार्यप्रणाली पर सिंधिया जहां हमला कर रहे हैं वही बाकी तीन ग्रुप इस ओर अपनी मंशा दाएं बाएं से बाहर और पार्टी फोरम पर बयां कर रहे हैं देखना है कि मध्यप्रदेश कॉन्ग्रेस की कमान कब और कैसे किसे सौंपी जाती है वहीं भारतीय जनता पार्टी ने दबंग 2 के साथ अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया है कांग्रेश को भी इसी हिसाब से तेजतर्रार नेता को मध्य प्रदेश की कमान सौंपना चाहिए जो संगठनात्मक रूप से भारतीय जनता पार्टी को जवाब दे सके जिससे कांग्रेस की छवि बने और आने वाले नगर निगम नगर निकाय के चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिल सके नहीं तो हस्र होने में समय नहीं लगेगा? क्योंकि देखने में आ रहा है कि कांग्रेसी जनमानस की भावनाओं को समझ नहीं पा रही है यदि वह जनमानस की भावनाओं को समझेगी तो प्रदेश की कमान सही हाथों में होने के बाद कांग्रेसी मजबूती से अपना भविष्य प्रदेश में बना सकती है। जिसका उदाहरण यह है कि जो कांग्रेस की सरकार बनी है उसमें किस की छवि ज्यादा जनमानस के अंतर्मन में रही और उसका फायदा कांग्रेस को मिला बहुमत में आने के बाद सरकार बनी इसका विश्लेषण कांग्रेश के हाईकमान सहित पदाधिकारियों को करना चाहिए तभी कांग्रेसका भविष्य प्रदेश में सुरक्षित रहेगा। पिछले 15 वर्षों में यह देखने में आया है कि कांग्रेसका संगठनात्मक ढांचा कमजोर रहा है जबकि भारतीय जनता पार्टी का संगठनात्मक जमीनी ढांचा बहुत ही मजबूत है यदि कांग्रेसका संगठनात्मक ढांचा मजबूत होता तो शिवराज सिंह भारतीय जनता पार्टी की 15 साल सरकार नहीं बना पाते जो उन्होंने चलाई और इस बार कांग्रेस के हाथ में जब जनता ने कमान सौंपी है तो उसे इसे बकरा रखने के लिए अपना संगठन मजबूत करना चाहिए यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेसका भविष्य सुरक्षित नहीं रह पाएगा ?
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