आप की हैट्रिक, देश की राजधानी दिल्ली में मोदी की छाती पर केजरीवाल फिर दलेंगे दाल

देश की राजधानी दिल्ली में हुए विधानसभा के चुनाव में आप पार्टी ने फिर से बाजी मार दी है इससे ऐसा लगता है कि जनता जाति और धर्म से ऊपर उठकर विकास को प्राथमिकता दे रही है दिल्ली की आप सरकार के क्रियाकलापों को दिल्ली की जनता जहां समझ रही है वहां देश के अन्य राज्यों की जनता इससे कोसों दूर नजर आ रही है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस वह बरगद के पेड़ है जिनकी छत्रछाया में दूसरे पौधों को पनपने का मौका शायद ही मिलता हो लेकिन श्री अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे की छत्रछाया में दोनों ही वरिष्ठ दलों को चारों खाने दिल्ली में चित कर रखा है जहां भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में 13 सीटें प्राप्त की हैं वहीं कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है आप पार्टी को पूर्ण बहुमत से ज्यादा 57 सीटें मिली हैं यह इस बात का द्योतक है कि भारत में नई राजनीति का जन्म हो चुका है और भविष्य में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का विकल्प सामने आने वाला है केजरीवाल बोलते हैं कि मैं राजनीति नहीं करता हूं काम करता हूं लेकिन वह एक नई राजनीति को जन्म दे चुके हैं जिसका भविष्य सुरक्षित नजर आ रहा है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस देश में दो विचारधाराओं को लेकर चल रहे हैं एक हिंदुत्व विचारधारा के मार्ग पर जहां है वहीं कांग्रेश पर तुष्टिकरण की नीति का आरोप सदैव लगता आया है जिसको दिल्ली की जनता  ने नकार दिया है लेकिन देश के अन्य राज्यों में जनता इसको समझ नहीं पा रही है जनता विकास जहां चाहती है वहां वह अपने निजी फायदे के लिए इन दोनों दलों का उपयोग कर रही है और यह दोनों दल इनका उपयोग कर रहे हैं सरकारें आती रहती है और जाती रहती हैं लेकिन भारत में दूसरी ओर संविधान की आड़ में एनसीआर  सी ए ए और एनपीआर के मुद्दे पर दलित और मुस्लिम समुदाय के लोग विगत 1 माह से प्रदर्शन कर रहे हैं जिसका नतीजा भविष्य की गर्त में है इससे भी ऐसा लगता है कि देश की राजनीति  एम  व्हाय के बाद अब डीएम  की ओर बढ़ रही है मुस्लिम यादव राजनीति उत्तर प्रदेश में शुरू हुई थी जिसका हस्र देश के लोग देख चुके हैं वहीं अब दलित मुस्लिम संविधान की आड़ में एक नई राजनीति को जन्म दे रहे हैं अब देखना यह है कि देश में राजनीतिज्ञों का विकास किस हद तक कैसे होता है दिल्ली में विधानसभा के चुनाव से यह प्रतीत होता है कि जनता के ऊपर भारतीय जनता पार्टी के निर्णय नोटबंदी धारा 370  राम मंदिर और एनसीआर  सी ए ए एवं एनपीआर का कोई असर नहीं रहा। दिल्ली के चुनाव में  भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की हार का  रोजगार और अर्थव्यवस्था का असर भी  आप पार्टी को फायदा  दिला गया वही कांग्रेश के द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के कार्यप्रणाली को लेकर जो हमले किए गए वह नाकाफी रहे हैं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की अपेक्षा कांग्रेस ने देश पर अधिक राज किया है पिछले 70 सालों में कांग्रेस के क्रियाकलापों को जनता ने नकारा है भले ही कांग्रेस ने मध्य प्रदेश महाराष्ट्र राजस्थान छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बना ली हो उसके पीछे के भी राज गहरे हैं जो राजनीतिक अच्छी तरीके से समझ सकते हैं यहां उसका उल्लेख करना जरूरी नहीं है क्योंकि जनता किसी की मीत नहीं है जहां दम वहां हम की नीति पर भारतीय जनता चलती है यह पब्लिक है सब जानती है और कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना रे भाई की कहावत यहां चरितार्थ होती है देश में दांव पेंच का खेल चल रहा है अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो की नीति को देश में चलाया था और वह आज भी कायम है फर्क सिर्फ इतना है कि अंग्रेज देश छोड़कर चले गए लेकिन उनकी रीति नीति को आज भी राजनीतिक दल कायम रखे हुए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी आदिवासियों को लेकर सन 2021 की जनगणना में आदिवासियों को हिंदू लिखने का अभियान चलाने जा रही है लेकिन आदिवासी हैं कि इस अभियान को लेकर गंभीर नहीं है वह अपने आपको प्रकृति पूजक मानते हैं जिसका असर धीरे धीरे देखने को मिलेगा कुछ आदिवासी संगठन इस अभियान का विरोध करना शुरू कर रहे हैं यहां यह उल्लेखनीय है कि सन 1991 मैं भारत में हिंदुओं की संख्या 84% थी जो 2011 में 69% रह गई है यानी कि हिंदुओं के ग्राफ में 25% की गिरावट आई है वही 125 करोड़ देश की जनता में से 23 करोड़ मुस्लिम समुदाय 1:30 करोड़ ईसाई समुदाय 20000000 जैन समुदाय दो करोड़ सिख समुदाय 200000000 बौद्ध समुदाय 18 करोड़ आदिवासी समुदाय और बाकी लगभग 58 करोड़ हिंदू शेष बचे हुए हैं जिससे हिंदू राष्ट्र की कल्पना दूरगामी नजर आती है अब देखना यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी विश्व में भारत को हिंदू राष्ट्र कैसे और किस तरह से घोषित करती है ?


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