क्या कमलनाथ हो गए हैं कड़कनाथ काले कारनामे करने वालों के खिलाफ

ऊपर का शीर्षक देखकर एवं पढ़कर  आप सोच रहे होंगे  कि कमलनाथ कैसे कड़कनाथ हो गए हैं  क्योंकि मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में आज  कई लोग काले कारनामे करने वाले नजर आ रहे हैं  और कड़कनाथ जो है  वह पूर्ण रूप से  उसकी हर चीज  खून पंख हाथ पैर कान नाक  उसकी सभी शारीरिक  चीजें  काली होती हैं वह काले कारनामे करने वालों का प्रतीक मुझे नजर आ रहा है इसलिए मैंने  श्री कमलनाथ को हो गए हैं कड़कनाथ  लिखना उचित समझा  क्योंकि  कमल जो है  कोमल होता है  लेकिन  श्री कमलनाथ के राधे  काले कारनामे करने वालों के खिलाफ बहुत ही कड़क और सख्त हैं जो उनकी कार्यशैली को काले कारनामों के खिलाफ  बयां करता है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ 1 साल के अंदर कई कड़े फैसले ले रहे हैं जिनमें भू माफिया शराब माफिया ड्रग माफिया दवा माफिया मिलावट माफिया गुंडा माफिया एवं अतिक्रमण माफिया कुल मिलाकर एक दर्जन माफियाओं के खिलाफ जबरदस्त अभियान चला रहे हैं इससे उनकी कार्यशैली एक कड़क और सख्त प्रशासक शासक की तरह नजर आ रही है काले कारनामे करने वालों के खिलाफ उनकी मुहिम कितनी कारगर होती है यह तो वक्त बताएगा लेकिन वह जो भी कर रहे हैं शायद आम जनता के शांति और सुकून के लिए काफी हो सकता है वही उनके इस कार्यों से भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता सहित जमीनी नेता बेचैन और असहज अपने आपको महसूस कर रहे हैं इससे तो ऐसा ही लगता है कि यदि उनकी यही दिशा और दशा कार्य करने की रही तो प्रदेश से काले कारनामे करने वालों का बुरा हश्र होना आगामी 4 वर्षों में सुनिश्चित है जिसे निरंतर जारी रखना उनकी सफलता को नए आयाम दे सकता है लेकिन ऐसा होता नहीं है फिर भी उनकी कोशिश प्रदेश की आवाम के लिए काफी है जिससे वह हाल परेशान लोग अपने आप को सुरक्षित एवं व्यवस्थित समझना सीख रहे हैं दूसरा वही  मीडिया क्षेत्र में व्याप्त गंदगी को भी साफ करने का प्रयास शायद कर रहे हैं क्योंकि 1 वर्ष के उनके कार्यकाल में देखने में आया है कि 2 राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर कई समाचार पत्रों पत्रिकाओं के मालिकों को हाशिए पर लेकर आ गए हैं जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रतिवर्ष पृथ्वी त्यौहार पर दिए  जाने वाले विज्ञापनों को बमुश्किल जारी कर रहे हैं  जिससे उनके खिलाफ मीडिया प्रकाशकों में कोलाहल का मचा हुआ है जो विज्ञापन ना मिलने से कोलाहल मचा रहे हैं क्योंकि शिवराज सरकार के 15 वर्षों में कई पत्र पत्रिकाएं जिनको अपना हथियार बनाकर लोगों ने शिवराज को बहुत प्रचारित प्रसारित किया और शिवराज सरकार ने ऐसे समाचार पत्र-पत्रिकाओं को जिसे पत्रकारिता की एबीसीडी भी नहीं पता वह भी अखबार पत्रिका निकाल रहे थे और लाखों रुपए विज्ञापन के रूप में कमा रहे थे जिन का हश्र होना कमलनाथ सरकार में सुनिश्चित नजर आ रहा है इससे लगता है कि कमलनाथ क्या हो गए हैं कड़कनाथ इस इस मैटर से मुझे एक संत की एक लाइन याद आती है किस शासक को गर्म वैश्य को नरम और स्त्री को शर्म सदैव होना चाहिए।


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