कवि साहित्यकार अंशु जोहरी का रचना पाठ सांप्रदायिकता के विरुद्ध स्वराज भवन में
सांप्रदायिकता के विरुद्ध अंशु जोहरी का रचना पाठ स्वराज भवन में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कैलिफोर्निया अमेरिका से प्रवासी भारतीय श्रीमती अंशु जोहरी द्वारा तुम से जुड़े बिना काव्य संग्रह पर आधारित रचनाओं का पाठ किया गया इस अवसर पर उन्होंने अपनी रचनाओं का पाठ किया विशेष रुप से उन्होंने भारतीय किसानों की आत्महत्याओं पर रेखांकित करते हुए एक मार्मिक कविता पड़ी जिसमें किसान और उसके पुत्र में आत्महत्या से पूर्व हुए वार्तालाप का पाठ करते हुए कुछ इस तरह बयां किया की किसान जब कर्ज में डूब गया तो उस मनो स्थिति को उनका पुत्र उन्हें देख रहा था किसान की दशा पुत्र को देखी नहीं जा रही थी एक उदाहरण स्वरूप उन्होंने बताया बहते पानी में जिस तरह एक चींटी पत्ते पर अपने जीवन को बचाने के लिए संघर्षरत रहती है उसी तरह मनुष्य को भी संघर्षरत रहना चाहिए उस संघर्षरत चींटी से शिक्षा लेकर जीवन को जीना चाहिए किसान जैसे ही खेत में खड़े पेड़ पर रस्सी लगाकर आत्महत्या की कोशिश करता है तो पुत्र उसे बताता है कि हे पिताजी आप जीवन में संघर्ष करने की जो शिक्षा मुझे देते थे वह अब आपके अंदर दिखाई नहीं दे रही है चींटी से भी आपने सबक नहीं लिया और आप यह जो करने जा रहे हैं यह उचित नहीं है इस आशय की इस कविता में अपने अनुभव समेट कर कविता को जीवंत बनाने की कोशिश श्रीमती अंशु जोड़ी ने की है उनसे पूछे गए सवाल में उन्होंने बताया कि मैं जी 3 वर्ष की आयु से कविता का लेखन कर रही हूं और अमेरिका में भी इस कविता का मंचन नाटकीय रूपांतरण किया गया है जिसे बहुत सराहा गया इस अवसर पर साहित्यकार नवल शुक्ल एवं बुद्धिजीवी साहित्यकार उपस्थित थे !
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