गोंडी कला वर्ष के अंतर्गत लोकरंग कार्यक्रम में लोक नृत्यों का लुफ्त उठाया दर्शकों ने

 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गोंडी कला वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है लोकरंग कार्यक्रम में लोक नृत्य देखने वाले जनजाति कलावा कार्यक्रम  मैं सराबोर हो गए इस कार्यक्रम के अंतर्गत जहां विभिन्न राज्यों के जनजाति कलाकारों ने अपने नृत्य कला का प्रदर्शन किया वही दर्शकों ने जनजातीय नृत्यों का भरपूर आनंद उठाया मुक्ताकाश मंच पर जब जनजाति नृत्य हुए दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कलाकारों का उत्साहवर्धन किया इस अवसर पर तेलंगाना छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र एवं ऑस्ट्रेलिया  जनजाति  के दृश्य कलाकारों ने अपनी बेहतरीन उम्दा प्रस्तुति दी 26 जनवरी से शुरू हुए लोकरंग का का आगाज जनजाति समुदाय की लोक कथा पर आधारित नृत्य नाटिका राजा परमल सा से हुआ यह ब्रह्मा द्वारा संसार की देखभाल और प्रजा के हितों की रक्षा का दायित्व गोंड समुदाय को सौंपने पर आधारित रहा गोंद की आपस की लड़ाई देख उन्होंने साजा पेड़ मथानी बनाई मरने पर भी देगा और देवार निकले जो सभी अलग-अलग कार्यों में के लिए चले गए 7 कोटि देवता के मरने से राजगोर निकले जिनसे ब्रह्मा प्रसन्न हुए और उन्हें दायित्व सौंप कर चले गए राजा पेमल शाह का विवाह पातालकोट के राजा भोज बल्लारी की बहन रानी भोपाल से हुई राज्य में  विपदा आ जाती है गरीबी में राजा रानी के मायके से कुछ लाने को कहते हैं रानी  को भाई ओला कुकड़ी दरबार में ठहरा देता है यह देख बड़ादेव को बहुत कष्ट होता है रानी का पैर पारस पत्थर से टकराने से उसकी एक पैर की एड़ी सोने की हो जाती है आखिर में राज्य फिर से खुशहाल हो जाता है इस नाटिका में फिल्म अभिनेता शाहनवाज खान ने सूत्रधार की भूमिका निभाई जनजाति लोक रंग में कई तरह की जनजाति शिल्प कला कृतियों सहित जनजाति व्यंजनों का लुक दर्शकों ने उठाया।


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