बहू के मत का नहीं बहुमत का जमाना है !
- बहू के मत का नहीं बहुमत का जमाना है भारत देश में राजनीति का अखाड़ा हमेशा से रहा है इस मैदान में मनुष्य की नागरिकता का मामला बहुत ही पेचीदा रहा है कोई अतिथि हो जाता है कोई शरणार्थी हो जाता है तो कोई आम नागरिक हो जाता है उसकी पहचान देश के साथ साथ समाज के लिए भी बहुत जरूरी हो जाती है पूरी दुनिया में पहले व्यक्ति फिर समाज फिर धर्म के आधार पर इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले व्यक्ति की पहचान बनती है अभी-अभी भारतीय संसद में नागरिक संशोधन बिल पास हुआ है जिस पर बवाल मचा हुआ है जो व्यक्ति भारत भूमि पर पैदा हुआ है मूल रूप से वही भारत का नागरिक है लेकिन कुछ असामाजिक तक इस मुद्दे को समझे बिना बवाल मच आए हुए हैं पूरी दुनिया के अंदर लगभग 200 देश हैं जिसमें 56 देश इस्लामिक हैं वहीं 12 देश ईसाई कमेटी से जुड़े हुए हैं कुछ देश बोध धर्म से जुड़े हुए हैं लेकिन पूरी दुनिया में कोई हिंदू राष्ट्र नहीं है जो अभी पास हुआ नागरिक संशोधन बिल जहां गैर हिंदू लोगों को स्वास्थ्य देता है वही अल्पसंख्यक वर्ग को भी प्राथमिकता देता है 2014
से पहले के नागरिक भारतीय नागरिकता के हकदार हैं इसके उपरांत जो लोग देश में आए हैं वह इसके हकदार नहीं है सन 1947 में देश आजाद हुआ और अंग्रेजों के शासन के बाद इसका जो बंटवारा हुआ उसमें भारत देश का निर्माण हुआ वही मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान बना कुछ हिंदू पाकिस्तान में रह गए और कुछ मुसलमान भारत में लेकिन भारत में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का रास्ता अपनाया वहीं पाकिस्तान में जाने वाले मुसलमानों सहित हिंदुओं को काफिर मुजाहिद्दीन कहा गया उनके साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया गया भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इन समस्याओं को लेकर जो बिल नियम निर्धारित किए थे उन्हीं को लेकर आज देश में संसद ने अपना बिल पास किया है विदेशी मूल का मुद्दा आज भी बरकरार है जो भारत भूमि पर जन्म लेगा वही असली इस देश का हकदार होगा लेकिन इसके बावजूद देश में जो हिंसात्मक बवाल हो रहा है वह ठीक नहीं है इसीलिए किसी परिवार में आने वाली बहू अपना मत व्यक्त नहीं कर सकती क्योंकि जिस परिवार में वह आती है उसका बहुमत नहीं होता है सिर्फ उसी परिवार का जिसमें वह आई है उसका बहुमत होता है आजादी का मतलब यह नहीं है कि जिसके मन में जो आए वह करें क्योंकि परिवार के बाद समाज सर्वोपरि है और समाज के बाद राज्य और देश सर्वोपरि है इसी भ्रम का जाल देश में लोग फैला रहे हैं 1950 संविधान में मौलिक अधिकार देश के प्रत्येक नागरिक को दिए गए हैं इन अधिकारों का हनन कोई भी नहीं कर सकता है इसलिए आज जो हो रहा है वह देश हित में नहीं है जब आप देश के बारे में सोचेंगे तो आपको दे सपना लगेगा वरना अपना भी आपको अपना नहीं लगेगा !
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